आम प्रत्याशी की तरह इंतजार करना पड़ा पीएम प्रत्याशी मोदी को

modiबीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के वाराणसी में नामांकन से पूर्व भले ही पूरा शहर मोदीमय हो गया, मगर कलेक्टेट में नामांकन से पहले उन्हें एक आम प्रत्याशी की तरह आधा घंटे से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ा। इस लाइव शो को देखने वाले दर्शकों को तो अचरज हो ही रहा था, खुद मोदी भी थोड़े खिन्न हुए, मगर जिला निर्वाचन अधिकारी तनिक भी विचलित नहीं हुए और भावशून्य चेहरा बना कर बड़े आराम से पूरी प्रक्रिया को अंजाम देते रहे। यहां तक कि शिष्टाचारवश चेहरे पर आने वाली मुस्कान को भी उन्होंने रोके रखा। मोदी के साथ आए अमित शाह व मुख्तार अब्बास नकवी के चेहरों पर भी उद्विग्नता थी, मगर वे शांत ही बने रहे। मोदी को पहले जिला निर्वाचन अधिकारी के चैंबर के बाहर काफी देर तक इंतजार करना पड़ा, बाद में नामांकन प्रक्रिया भी काफी धीमी गति से चलती रही। इस दौरान मोदी को इर्द-गिर्द साथियों से बतिया कर समय बिताना पड़ा। आश्चर्य की बात ये रही कि पूरे प्रशासनिक अमले को पता था कि मोदी कलेक्ट्रेट परिसर में प्रवेश कर चुके हैं, मगर किसी भी अधिकारी ने न तो उनकी मिजाजपुर्सी नहीं की और न ही हड़बड़ी दिखाई। अलबत्ता कुछ पुलिस वाले जरूर उनके साथ फोटो खिंचवा रहे थे। ऐसे में लोगों के जेहन में यह सवाल उठा कि क्या यह सब उत्तर प्रदेश में मुलायम-अखिलेश की सरकार होने के कारण हुआ? क्या गुजरात में कोई अधिकारी इस प्रकार का कड़कपन दिखा सकता था?
दरअसल, जब मोदी कलेक्ट्रेट पहुंचे तो मेराज खालिद नूर नाम का निर्दलीय उम्मीदवार पहले से ही पर्चा दाखिल करने के लिए खड़ा था। मेराज के बारे में बताया जाता है कि वह 2004 और 2009 के चुनावों में कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन जैसा चेहरा मोहरा बनाकर लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान के साथ चुनाव प्रचार कर चुका है। ओसामा को 2011 में एक ऑपरेशन में मार गिराया गया था। नियम यह है कि जो भी प्रत्याशी पहले आएगा, उसका नामांकन पहले होगा। इस वजह से जिले के डीएम ने पहले नूर का नामांकन स्वीकार किया। उसके बाद मोदी का नंबर आया। इस प्रक्रिया में मोदी को करीब आधे घंटे तक डीएम दफ्तर में इंतजार करना पड़ा।

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