अम्बेडकर विचार और व्यक्तित्व से ज्यादा वोट दिलाने वाला नाम

ओम माथुर
ओम माथुर
आज अम्बेडकर जयन्ती थी या वोट बैंक की राजनीति करने का दिन। पूरे देश में बाबा साहब अम्बेडकर की प्रतिमाओं पर सभी राजनीतिक दलों के नेता उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित करने के लिए उमड़ रहे थे। अगर ये नेता बाबा साहब की शिक्षाओं और सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार में भी इतनी ही होड दिखाएं,तो देश में कमजोर और पिछड़े वर्ग का उद्धार हो जाए,जो वाकई में बाबा साहब का सपना था। लेकिन हमारे देश में यही तो विड़म्बना है,किसी भी राष्ट्रीय व्यक्तित्व की तभी कद्र होती है,जब वह राजनीति में वोट खींचने जैसी हस्ती लगने लगता है। दुर्भाग्य से राजनीतिक दलों को अब अम्बेडकर विचार और व्यक्तित्व से ज्यादा वोट दिलाने वाला नाम लगने लगा है।
एक अम्बेडकर और वोटों के इतने सारे सौदागर, कोई अंबेडकर के कारण ही खुद के प्रधानमंत्री बन पाने की बात कह रहा था। तो कोई उसी प्रधानमंत्री के राज में दलितों पर अत्याचार की बात रहा था। । कोई उनकी जन्मस्थली गया, तो कोई अपनी राजनीति की कर्मस्थली में अंबेडकर के नाम से ही वोट की फसल सींच रहा था,। खुद को अम्बेडकर के ही असली वारिस मानने वाले अपने अपने राज्यो में साल भर भले ही बाबा साहब को याद नहीं करते हो लेकिन आज वो ही उन्हें सबसे ज्यादा याद कर रहे हैं। आज अम्बेडकर की मूर्तियों को मालाये पहनाने वालों के पास कल इतनी फुरसत नहीं होगी की इन सूखी मालाओं की हटा दें।

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