पिलानिया ने डाले मदेरणा पर डोरे?

भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्ञानप्रकाश पिलानिया की कांग्रेस के दिग्गज व खांटी नेता परसराम मदेरणा से हुई मुलाकात को राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है। विशेष रूप से पिलानिया के इस बयान पर खासी चर्चा हो रही है कि हम सब जन्मजात कांग्रेसी थे।
असल में पूर्व मंत्री परसराम मदेरणा के पुत्र पूर्व जलदाय मंत्री महिपाल मदेरणा के भंवरी प्रकरण में जेल जाने के बाद से जाट समाज का एक बड़ा तबका कांग्रेस और विशेष रूप से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज है। उसका मानना है कि गहलोत ने साजिश के तहत मदेरणा का राजनीतिक कैरियर चौपट करने की कोशिश की है। वह आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सबक सिखाने के मूड़ में है। जाट समाज की नाराजगी का अहसास कांग्रेस को भी है और वह उसका समाधान भी तलाश रही है। पिछले दिनों नागौर जिले की सांसद ज्योति मिर्धा का नाम केन्द्रीय मंत्रीमंडल के पुनर्गठन में शामिल होने की चर्चा उसी का हिस्सा है। ज्ञातव्य है कि ज्योति मिर्धा मारवाड़ इलाके में जाटों के भगवान स्वरूप नेता स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा की पोती है और उसी परिवार के पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामनिवास मिर्धा के पुत्र हरेन्द्र मिर्धा पूर्व मंत्री परसराम मदेरणा के जवांई हैं। अर्थात ज्योति मिर्धा को सम्मान देकर कांग्रेस जाटों की नाराजगी कुछ कम करने के प्रयास में है।
उधर भाजपा की भी पूरी नजर जाटों के कांग्रेस से नाराज होने पर है। वह चाहती है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इस नाराजगी को भाजपा के पक्ष में भुना लिया जाए। मदेरणा परिवार की कांग्रेस के प्रति पूर्व में कायम निष्ठा डगमगाने के समाचार पूर्व में भी आ चुके हैं। ऐसे में समझा जाता है कि भाजपा ने अपने सांसद पिलानिया को मदेरणा पर डोरे डालने के लिए भेजा है। उनके बयान में ही इस आशय की चालाकी नजर आती है। उनका ये कहना कि हम सब जन्मजात कांग्रेसी थे, यह जताने की कोशिश है कि कांग्रेस की जाट विरोधी नीति की वजह से ही अब यह समाज भाजपा की ओर आकर्षित हो रहा है। समझा जाता है कि पिलानिया परसराम मदेरणा के सिविल लाइंस स्थित आवास पर गए तो उनकी पत्नी छोटीदेवी मदेरणा के निधन पर सांत्वना देने को थे, मगर इसी बहाने उनके पुत्र के जेल में होने की पीड़ा को कुरेदने और सांत्वना देने का भी मौका तलाश लिया। हालांकि पिलानिया इस मुलाकात को एक सांत्वना मुलाकात ही बता रहे हैं और कह रहे हैं कि कोई सियासी चर्चा नहीं हुई, मगर उनके मात्र यह कहने से ही पूरी कहानी समझ में आती है कि मदेरणा जी राजस्थान के सबसे प्रौढ़ किसान नेता हैं। इतना कह सकता हूं कि मदेरणा जी की चादर आज भी बेदाग है।
-तेजवानी गिरधर

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