शायद बापू गांधी की हत्या में संदिगत भूमिका से अपने आपको अलग करने और नाथू राम गोडसे और सावरकर की भूमिका को महिमा मंडित करने के लिए सत्ता के मद में चूर भगवा पार्टी फिर से गांधी जी हत्या केस की दोबारा जांच के लिए छद्म तरीके अपना रही है जो बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण और निन्दनीय है यानि गोडसे की भूमिका को कहीं न कहीं सही ठहराने की असफल कोसिस ? अच्छा होता अगर भगवा ब्रिगेड अपने सबसे प्रमुख व्यक्ति की छवि सुधरने की कोशिस करती और 2002 के गुजरात दंगो में हजारों निर्दोश लोगो की हत्या को नहीं रोक पाने की भूमिका के शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी तय करने के लिए आयोग की स्थापना के लिए कोई उचित और सुनिश्चित कदम उठाते तो भारत के लोकतंत्र को और मजबूत होने का अहसास पूरी दुनिया को होता ? चूँकि भगवा ब्रिगेड को पता है की 2002 के दंगो की जांच अगर किसी निष्पक्ष जांच आयोग से कराई जाय तो पूरी दुनिया को सच पता चल जाएगा ? ऐसा कैसे हो सकता है की कैबिनेट का एक मंत्री और एक विधायक दंगो में सक्रीय रूप से शामिल थे जिसकी उन्हें 28 28 वर्ष की सजा मिल चुकी हैं तो मंत्री मंडल का मुखिया कैसे बचा रहा ? क्या मंत्री मंडल की सामूहिक जिम्मेदारी नहीं होती ! ऐसे ही बहुत सारी बाते है जिसको भी देश जानना चाहता है और उसकी भी जांच होनी चाहिए ?
एस पी सिंह । मेरठ