न्यायापालिका पर संदेह की खतरनाक परम्परा

अदालत ने टूजी घोटाले के आरोप में के ए.राजा और कनिमोई सहित अन्य आरोपियों को बरी किया,तो वित्त मंत्री और भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि यूपीए और कांग्रेस इसे ईमानदारी का सर्टिफिकेट ना समझे। आज जब अदालत ने लालू यादव को चारा घोटाले में सजा सुनाई तो लालू सहित जनता दल के नेता आरोप लगा रहे हैं कि यह भाजपा की साजिश है।
व देश में अदालतों के फैसलों को कटघरे में खड़ा करने का यह नया ट्रेंड शुरू हुआ है ।जब किसी पर आरोप लगता है तो अंतिम रूप में उसने अपराध किया है या नहीं,इसका फैसला हमारे यहां अदालत ही तो करती है । फिर जेटली के बयान का क्या मतलब ?और अगर लालू को जेल हुई है,तो उसका फैसला भी अदालत ने सबूत और तथ्यों के आधार पर किया होगा। फिर इसके लिए भाजपा जिम्मेदार कैसे हुई? लोकतंत्र के हर हिस्से पर प्रहार करने की ये नई परंपरा घातक होती जा रही है । इस देश में एक न्यायपालिका ही ऐसी बची थी,जिस पर आम आदमी का भरोसा कायम था । लेकिन धीरे-धीरे राजनीतिज्ञ अपने हित में न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा कर उसकी विश्वसनीयता समाप्त कर रहे हैं।

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