फिल्म समीक्षा –टाइगर जिन्दा हैं…

दयानन्द शास्त्री
दयानन्द शास्त्री
बैनर : यश राज फिल्म्स
निर्माता : आदित्य चोपड़ा
निर्देशक : अली अब्बास ज़फर
संगीत : विशाल शेखर
कलाकार : सलमान खान, कैटरीना कैफ, सज्जाद डेलफ्रूज़, अंगद बेदी, कुमुद मिश्रा, गिरीश कर्नाड,परेश रावल…
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 41 मिनट
रेटिंग : 3.5 /५
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टाइगर जिंदा है फिल्म एक था टाइगर का सीक्वल है। एक था टाइगर अच्छी फिल्म नहीं थी और यह बात खुद निर्देशक कबीर खान ने कबूली थी। वो तो सलमान खान के स्टारडम के कारण बॉक्स ऑफिस पर एक था टाइगर की दहाड़ गूंजी थी। वो फिल्म कैसी भी हो, लेकिन उसके दो किरदार अविनाश उर्फ टाइगर और ज़ोया बहुत उम्दा हैं।

एक भारतीय एजेंट है तो दूसरा पाकिस्तानी जासूस। मिल कर मिशन को अंजाम देते हैं और इस बहाने कहानी को आगे बढ़ाया जा सकता है। यही सोचकर फिल्म के निर्माता आदित्य चोपड़ा ने सीक्वल की बागडोर अली अब्बास ज़फर को सौंपी जो सलमान के साथ ‘सुल्तान’ बना चुके हैं और अली ने एक था टाइगर से उसका सीक्वल बेहतर बनाया है।

टाइगर जिंदा है के ट्रेलर में ही कहानी उजागर हो जाती है। इराक में भारतीय नर्सों को अपहरणकर्ताओं ने बंधक बना लिया है। इन्हें छुड़ाने का जिम्मा टाइगर पर है। रोमांच इस बात में है कि कैसे मिशन को अंजाम दिया जाता है। फाइलों में मान लिया गया था कि क्यूबा में टाइगर की मौत हो गई है जबकि ज़ोया से शादी के बाद टाइगर सब कुछ छोड़ कर ऑस्ट्रिया में पारिवारिक जिंदगी जीने लगता है। जूनियर नामक एक उनका बेटा भी हो चुका है। नर्सों को छुड़ाने की जब बात याद आती है तो शिनॉय सर को टाइगर की याद आती है और वे 24 घंटों में टाइगर को ढूंढ निकालते हैं।

30 किलो वजनी, 1200 राउंड्स प्रति मिनिट की स्पीड, बेल्ट लोडेड मैगज़ीन वाली एमजी 42 जब सलमान के हाथों में नजर आती है तो यह फिल्म का बेहतरीन सीन बन जाता है।

फौलादी शरीर, माथे से रिसता खून और हाथों में मशीनगन लिए गोलियां दागते सलमान खान एक सुपरस्टार नजर आते हैं और उनका यही अंदाज देखने के लिए तो उनके फैंस टिकट खरीदते हैं। ‘टाइगर जिंदा है’ में वो सारे मसाले घोंट कर निर्देशक अली अब्बास ज़फर ने डाल दिए हैं जो सलमान के फैंस को दीवाना कर देते हैं। टाइगर जिंदा है लार्जर देन लाइफ मूवी है जो सलमान के स्टारडम को मैच करती है।

40 नर्सों में कुछ पाकिस्तानी भी हैं। यह बात पता चलते ही ज़ोया भी टाइगर के मिशन में शामिल हो जाती हैं। एक तीसरे ही देश में भारतीय और पाकिस्तानी एजेंट्स मिल कर मिशन को अंजाम देते हैं।

सलमान लंबे समय बाद एक्‍शन में वापस आए है और सबसे खास बात कैटरीना कैफ के साथ बॉक्‍स ऑफिस पर उनकी वापसी 5 साल बाद हुई हैं। साल के अंत में क्रिसमस के अवसर पर रिलीज हो रही इस फिल्‍म को लेकर बॉलीवुड ट्रेंड एक्‍सपर्ट के साथ ही सलमान खान के फैंस को इस बात को लेकर उत्‍सुकता है कि फिल्‍म ‘टाइगर जिंदा है’ बॉक्‍स आफिस पर कैसा धमाका करती है। फिल्‍म निर्देशक अली अब्‍बास जफर कहानी को एक अलग अंदाज में कहते नजर आते हैं और इस बार टाइगर जिंदा है भी इस बात का अपवाद नहीं है,इस बार उसका स्‍कैल भी काफी बड़ा है।

निर्देशक अली जानते थे कि उनके पास प्रस्तुत करने के लिए सीधी और सरल कहानी है इसलिए उन्होंने एक्शन का जोरदार तड़का लगाकर फिल्म को बेहतर बनाने की कोशिश की है। फिल्म में एक्शन का स्तर इतना ऊंचा रखा है कि उसके रोमांच में खोकर दर्शक अन्य बातों को भूल जाता है।

फिल्म में ऐसे कई दृश्य डाले गए हैं जो दर्शकों को सीटियां और तालियां बजाने पर मजबूर करते हैं, जैसे- कैटरीना कैफ का एंट्री सीन लाजवाब है जब वे कैमरे में बिना आए पल भर में गुंडों को ठिकाने लगा देती हैं। दो भारतीय एजेंट्स का बैग को ऊपर रखने के लिए विवाद करना और बैग खोलने पर तिरंगे का निकलना, भारतीय और पाकिस्तानी एजेंट्स का साथ में बैठकर बातें करना कि यदि दोनों देश एक होते तो क्या समां होता, सचिन और अकरम एक ही टीम में खेलते, फिल्म के अंत में पाकिस्तानी एजेंट का तिरंगा फहराना और फिर भारतीय एजेंट के कहने पर पाकिस्तानी झंडा भी साथ में लहराना। हालांकि कुछ दृश्यों में महसूस होता है कि देशभक्ति की लहर बेवजह पैदा की जा रही है।

फिल्म के एक्शन सीन जबरदस्त हैं। एक लंबा हैवी-ड्यूटी एक्शन सीक्वेंस है जिसमें इराक में टाइगर का पीछा आतंकवादी करते हैं। घोड़े और कार के सहारे वे उनको खूब छकाते हैं। यह सीन लाजवाब है।

जहां तक कमियों का सवाल है तो अली अब्बास ज़फर ने फिल्म के नाम पर खूब छूट ली है। खतरनाक आतंकवादियों द्वारा भारतीय नर्सों तथा टाइगर और उसकी गैंग को इस तरह खुला छोड़ देना, साथ ही टाइगर गैंग कई चीजें बड़ी आसानी से कर देती है, ये बातें थोड़ा अखरती हैं।

खाने में बेहोशी की दवा मिलाने का फॉर्मूला तो मनमोहन देसाई के जमाने से चला आ रहा है। कुछ नया सोचा जाना चाहिए था। जितने खतरनाक आतंकवादी बताए गए हैं उतनी कठिन चुनौती वे पेश नहीं कर पाते। दुनिया में अशांति के माहौल के लिए वे व्यवसायी जिम्मेदार हैं जो हथियार बनाते हैं, जैसी बातों को हौले से छुआ गया है। यहां पर लेखक ने गहराई के साथ उतरना पसंद नहीं किया है। कहानी की इन कमियों को तेज रफ्तार और रोमांचक एक्शन के सहारे छिपाया गया है। इस कारण दर्शक भी इन बातों पर गौर नहीं करते हैं।

टाइगर जिंदा है देखते समय बेबी, एअरलिफ्ट और एजेंट विनोद जैसी फिल्में भी याद आती हैं। इन फिल्मों में इसी तरह के मिशन थे, टीम वर्क था। ‘टाइगर जिंदा है’ में वही दोहराव देखने को मिलता है, लेकिन इस फिल्म को उन फिल्मों से जो बात जुदा करती है वो है सलमान खान का स्टारडम।

निर्देशक के रूप में अली अब्बास ज़फर ने फिल्म को हॉलीवुड स्टाइल लुक दिया है। उन्होंने फिल्म में संतुलन बनाए रखा है और दर्शकों को हर तरह के मसाले परोसे हैं। एक्शन फिल्म होने के बावजूद उन्होंने हर दर्शक और वर्ग का ख्याल रखा है और एक्शन का ओवरडोज नहीं होने दिया। अच्छी बात यह है कि वे दर्शक की फिल्म में रूचि बनाए रखते हैं। इंटरवल के बाद फिल्म में जरूर डिप आता है, लेकिन कुछ मिनट बाद गाड़ी फिर पटरी पर लौट आती है।

अली ने सलमान के स्टार पॉवर का बखूबी उपयोग किया है। सलमान को उसी स्टाइल और अदा के साथ पेश किया है जो दर्शकों अच्छी लगती है। हर सीन में सलमान का दबदबा नजर आता है। सलमान का एंट्री सीन भी शानदार है। थोड़ी देर चेहरा आधा ढंका नजर आता है। फिर पूरा चेहरा तब नजर आता है जब वे खतरनाक भेड़ियों से अपने बेटे को इस शर्त के साथ बचाते हैं कि कोई भी भेड़िया मारा न जाए। यह सीक्वेंस फिल्म का माहौल बना देता है। शर्टलेस सलमान को भी एक्शन करते दिखाया गया है ताकि ‘भाई’ के फैंस की हर इच्छा पूरी हो जाए।
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कैसा है कलाकारों का अभिनय : —-
अब जब फिल्‍म मनोरंजन और एक्‍शन से भरपूर डोज लिए हुए है तो इसमें सलमान का रोल आपको पसंद आने ही वाला है। उनको बर्फीले पहाड़ों पर एक्‍शन सीन करते हुए देखना और भेडि़ए के साथ उनकी भिड़त को देखना उनके फैंस के लिए शानदार अनुभव साबित होने जा रहा है। साल 2017 के अंत में सलमान एक जबरदस्‍त परफार्मेंस के साथ बॉक्‍स ऑफिस पर कमाई का नया रिकार्ड अपने नाम कर लें तो इसमें किसी को कोई आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए। कैटरीना कैफ ने भी शानदार एक्‍शन सीन करती नजर आई है,इस बार जोया के जिस किरदार को उन्‍होंने परदे पर उतारा है उसा लक्ष्‍य अलग है और लाइफ की जर्नी भी। लंबे समय बाद एक्‍शन और रोमांस करते सलमान खान और कैटरीना कैफ को देखना दोनों के फैंस का बुहत रास आने जा रहा है।

सलमान खान ने इस फिल्म के लिए अपना वजन कम किया है। वे फिट और हैंडसम लगे हैं। एक्शन दृश्यों में उन्होंने विशेष मेहनत की है। टाइगर के रूप में वे ऐसे शख्स लगे हैं जो इतनी भारी भरकम जिम्मेदारी को अपने मजबूत कंधों पर उठा सकता है। अभिनय के नाम पर उनका एक विशेष अंदाज है, वही उन्होंने दोहराया है और अपने फैंस को ताली और सीटी बजाने के कई मौके दिए हैं।

कैटरीना कैफ के सीन कम हैं, लेकिन जो भी उन्हें मिले हैं उनमें उन्हें कुछ कर दिखाने का मौका मिला है। कुछ एक्शन सीनभी कैटरीना को करने को मिले हैं और वे इनको बखूबी निभाती दिखी हैं। गिरीश कर्नाड, अंगद बेदी, सज्जाद डेलफ्रूज़, कुमुद मिश्रा, परेश रावल काबिल अभिनेता हैं और इनका सपोर्ट फिल्म को मिला है। फिल्म के मुख्य प्लॉट में एक आतंकवादी संगठन, सलमान-कटरीना का थोड़ा सा रोमांस, दूर होने की तड़प और भारत-पाकिस्तान का एक मजबूत एंगल, फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ आपको बांधे रखती है. फिल्म में एक्शन के तो क्या ही कहने!

फिल्म की मुख्य स्क्रिप्ट से भी मजबूत अगर कोई है तो वो है सलमान खान! जब भी मौका मिलता है, वो खुद को किसी सुपरहीरो की तरह साबित करने में पूरी तरह से जुट गए हैं.

यह पूरी तरह से सिर्फ और सिर्फ सलमान की फिल्म है. वहीं फिल्म में कटरीना के पास करने के लिए कुछ भी नहीं है. हालांकि, फिल्म के गीत ‘तेरा नूर’ में उनका एक अलग अंदाज नजर आता है. फिल्म में परेश रावल, अंगद बेदी और कुमुद मिश्रा भी हैं.
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क्‍यों देखें फिल्‍म :—-

सबसे पहली बात अगर आप सलमान खान के फैंस है और मनोरजंन से भरपूर फुल पैसा वसूल फिल्‍म देखना चाहते हैं तो इस फिल्‍म को देखने जा सकते हैं। सलमान को बर्फीले पहाड़ों में 15 से 16 भेडि़यों के साथ लड़ते देखना और हैरतअंग्रेज एक्‍शन सीन करते देखना आपको पसंद आएगा। कुल मिलाकर इंटरटेनमेंट से भरपूर मशाल,एक्‍शन और अच्‍छी कहानी पर शानदार निर्देशन देखने के लिए आप टाइगर जिंदा को देख सकते हैं। हां ये बात जरूर है कि फिल्‍म थोड़ी लंबी लग सकती है और दूसरी सबसे बात जो आप को अखर सकती है वो यह कि जब आप सलमान खान की टाइगर जिंदा है को देखकर सिनेमा हॉल से बाहर आएंगे तो आपको सलमान का एक्‍शन तो याद आएगा लेकिन उनकी पिछली फिल्‍मों की तरह जबरदस्‍त संवाद शायद याद ना आएं। संवाद के मामलें में यह फिल्‍म थोड़ी कमजोर रही है। जूलियस पैकियम इस फिल्म में महत्वपूर्ण रोल निभाते हैं। उनक बैकग्राउंड म्युजिक तारीफ के काबिल है। फिल्म देखते समय यह दर्शकों में रोमांच उत्पन्न करता है। विशाल-शेखर द्वारा संगीतबद्ध किए गीत ‘स्वैग से करेंगे सबका स्वागत’ और ‘दिल दिया’ सुनने लायक हैं। इनका फिल्मांकन आंखों को सुकून देता है। फिल्म की सिनेमाटोग्राफी जबरदस्त है। बर्फीले पहाड़ों से लेकर तो तपते रेगिस्तान तक कैमरे को खूब घुमाया गया है। विदेशी लोकेशन्स और एक्शन सीक्वेंस बढ़िया फिल्माए गए हैं।

जोरदार एक्शन और सलमान खान के स्टारडम के कारण टाइगर की दहाड़ सुनी जा सकती है। फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ पूरी तरह से एक मसाला फिल्म है. अगर आप भी ऐसी पैसा वसूल, एक्शन फिल्मों के शौकीन हैं, तो यह फिल्म आपको बहुत पसंद आएगी. लेकिन अगर लॉजिक से परे बेवजह से ‘लार्जर देन लाइफ’ स्टंट आपको बेतुके लगते हैं, तो फिर इस वीकेंड आप कुछ और करने का प्लान बना लें, बेहतर होगा.

पंडित दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)

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