यह कैसा रमजान है ?

महेन्द्र सिंह भेरूंदा
कल का दिन कश्मीर का काफी मनहूस दिन था सी. आर. पी. एफ. पर चार जगह ग्रेनेड से हमले हुए अभी तक जानमाल के खतरे की कोई पुष्टि नही हुई है और दिन में पत्थरबाजी की लगातार घटनाओ और उल्टा ड्राइवर ने गाड़ी को हमलावरों से बचाने के प्रयास पर लापरवाही से गाड़ी चलाने का मुकदमा दर्ज हुआ है ।
इन सभी प्रश्नो का जवाब क्या मोदी जी से नही मांगा जाना चाहिए ?
क्या पीडीपी की इस सरकार में उनकी पार्टी की कोई हिस्सेदारी नही है ?
क्या मोदी जी को अपनी इस सांझा सरकार की मांग मानने से पहले इन से कानून व्यवस्था बनाये रखने की गारंटी नही लेनी चाहिए थी ?
या इस सत्ता पक्ष को जनहानि से कोई सरोकार नही है उनका तो केवल देश को कांग्रेस वहिन करने का ही संकल्प था !
क्या महबूबा के मशवरे को मानकर अपने सीजफायर का निर्णय लेकर क्या सुरक्षाबलों को आपने मौत के मुँह में नही धकेल दिया और सुरक्षाबलों के हाथ बांधकर शस्त्र देने का निर्णय षड्यंत्रकारी मर्डर की श्रेणी में आना चाहिए और निर्णायकों पर जनहानि का मुकदमा चलना चाहिए , सजा का प्रावधान होना चाहिए वरना तो पराई सन्तानो की मौत का मातम इन लोगो को विचलित नही कर पायेगा और ऐसा कुछ नही होता है तो यह वोट गिनते रहेंगे हम लाशें गिनते रहेंगे , हमारी माताओं की कोख उजड़ती रहेगी यह आबाद होते रहेंगे और यह हँसते रहेंगे हम रोते रहेंगे ।
यदि थोड़ी बहुत गैरत है इस सरकार में तो इस असफलता पर निर्णायक कार्यवाही करें वरना स्तीफा दे देना चाहिए ।
हम देश के नागरिक है हमें आखिर आवाज तो उठानी चाहिए वरना धिक्कार है ।
महेंद्र सिंह भेरून्दा

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