में उनकी अहम भूमिका होगी। उनकी मोहर लगने के बाद ही उम्मीदवारों का पैनल शीर्ष नेतृत्व को भेजा जाएगा। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में राजपूत समाज भाजपा से नाराज चल रहा है, जिसे लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बहुत चिंतित है उसी के परिणाम स्वरूप शेखावत की चुनाव प्रबंधन समिति के सयोंजक के रूप में नियुक्ति की गई है। इस महत्वपूर्ण पद पर शेखावत की नियुक्ति से राजपूत समाज का गुस्सा कितना ठंडा होता है क्या वह वापस भाजपा के प्रति पहले की तरह रुख इख्तियार करता है या नहीं यह तो वक्त बताएगा मगर भाजपा ने राजपूत समाज को राजी करने के लिए यह पासा फेंका है। गौरतलब है कि राजस्थान में तीन माह बाद विधानसभा चुनाव हैं और दोनों दल भाजपा व कांग्रेस अपने अपने स्तर पर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के प्रयास कर रहे हैं। भाजपा जहां अपनी गौरव यात्रा के जरिये लोगों को अपनी उपलब्धियां व जनकल्याणकारी योजनाएं बता रही है वहीं कांग्रेस भी संकल्प यात्रा के जरिए भाजपा सरकार की नाकामियों को गिना रही है। दोनों दलों द्वारा यात्रा के दौरान भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन कर आमजन को लुभाने के प्रयास किया जा रहे है। हालांकि राजनैतिक पण्डितों का कहना है कि भले ही दोनों दल भीड़ जुटाकर मतदाताओं को आकर्षित करने के प्रयास कर रहे हों मगर भीड़ को मतों के रूप में परिवर्तित करने में वे कितना कामयाब होते हैं ये महत्वपूर्ण है। हमने पिछले दिनों देखा कि वसुंधरा की गौरव यात्रा में सरकार के खिलाफ नारेबाजी हुई, यात्रा के दौरान सभाओं में पत्थर बाजी हुई। अब ऐसा क्यों हुआ ये चिंता का विषय है। क्या वाकई लोगों की सरकार के प्रति नाराजगी का परिणाम है या विपक्ष की सोची समझी चाल। खैर जो भी हो राजनीति में स्थितियां-परिस्थितियां बनती बिगड़ती रहती हैं। अब तीन महीने बचे हैं चुनाव में, देखना ये है कि ऊंट किस करवट बैठता है।
तिलक माथुर
केकड़ी_राजस्थान
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