जब ‘ऊपर वाले’ ही लाखों रुपए लेकर कुलपति बनाएंगे, तो यही होगा

प्रेम आनंदकर
देखो भाई, हमारे देश में ‘खाने’ की परिपाटी बरसों से चली आ रही है। यहां कविता की सभी विधाओं में रमे कवि जॉनी बैरागी की कविता के कुछ अंश याद आ गए हैं-“कोई चारा खा जाता है तो कोई सीमेंट खा जाता है। जो खाएगा, वो जिएगा। जो नहीं खाएगा, वो मर जाएगा। महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह आदि इसलिए चले गए, क्योंकि उन्होंने कुछ नहीं ‘खाया।’ सुरेश कलमाड़ी, ए. राजा, लालूप्रसाद यादव, कनिमोझी इसलिए जिंदा हैं, क्योंकि इन्होंने खाया।” अब राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (आरटीयू), कोटा के कुलपति डॉ. रामावतार गुप्ता ने प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज को सीटें और सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लाखों रुपए खा लिए, तो इसमें क्या हो गया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की स्पेशल टीम ने महान शिक्षाविद गुप्ता को 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए धर दबोचा। गुप्ता कितने दिलेर हैं कि रिश्वत लेने के लिए कोटा से सरकारी कार में चलकर जयपुर आ गए। जिस गेस्ट हाउस में गुप्ता ठहरे हुए थे, वहां से एसीबी ने 21 लाख रुपए बरामद किए हैं। अभी तो गुप्ता के घर, ऑफिस व अन्य ठिकानों पर भी छापामारी की जा रही है, जिसमें गुप्ता के हलक में जमा लाखों रुपए निकलेंगे। वाकई में गुप्ता ‘महान शिक्षाविद’ हैं। लाखों रुपए डकारने वाले गुप्ता इकलौते कुलपति थोड़े ही हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर के पूर्व कुलपति प्रो. रामपाल सिंह भी एसीबी के हाथों धरे गए थे और फिर कुलाधिपति व राज्यपाल ने उन्हें बर्खास्तगी से ‘नवाजा’ था। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डी.पी. जारोली रीट पेपर लीक मामले में नप गए। उन्हें भी सरकार ने बर्खास्त किया था। इन सब मामलों पर गौर करने पर एक विचारणीय प्रश्न सामने आता है कि शिक्षा की इन बड़ी संस्थाओं के मुखिया बनाने का सरकार के पास क्या मापदंड है। यह सवाल भी जेहन में उठता है कि कहीं ‘ऊपरी स्तर’ पर लाखों-करोड़ों में ‘सौदेबाजी’ से यह नियुक्तियां तो नहीं की जाती हैं। बहरहाल, इन सवालों के जवाब आम-अवाम पर छोड़ते हैं। फिलहाल एसीबी ने गुप्ता को शिकंजे में कसकर रात के तारे दिन में ही दिखा दिए हैं। एयरकंडीशनर चैम्बर में बैठकर रूतबा दिखाने और एसी कार में घूमकर सरकारी धन को पलीता लगाने वाले गुप्ता जब थाने और जेल में फर्श पर सोएंगे, तब पता चलेगा कि खोटे कामों का अंजाम क्या होता है। इसके बाद भी गुप्ता जैसे घूसखोर लोग सबक नहीं लें, तो फिर उनका अंजाम भी देर-सवेर यही होगा। ऐसे हरामखोर और घूसखोर लोगों को अच्छे ‘पदक’ और ‘उपाधि’ से ‘नवाजने’ के लिए सरकार को विचार करना चाहिए। ऐसे लोगों की सीधे बर्खास्तगी, सभी परिलाभों की जब्ती, जमा धन-संपत्ति सरकारी खजाने में जमा करने और पाई-पाई के लिए मोहताज कर देना ही इनके लिए सबसे बड़ा ‘सम्मान’ होना चाहिए। और इस सम्मान के लिए गुप्ता पूरी तरह हकदार हैं।
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।

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