-अजमेर विकास प्राधिकरण ने जब जमीन आवंटन का डिमांड नोट जारी किया था और राशि जमा कराई गई थी तब भाजपा का ही बोर्ड था
-भाजपा राज में बोए गए कांटों की फसल को अब कांग्रेस सरकार सींच रही है
-अजमेर विकास प्राधिकरण ने बोर्ड मीटिंग में नक्शा पास कर दिया
-नतीजतन अजमेर की जनता में आक्रोश व रोष उपजा, आगे क्या होगा, भगवान जाने
✍️ प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉यदि तथ्यों पर नजर डालें तो पता चलेगा कि अजमेर में तेलंगाना हाउस और हॉस्टल बनाने की मंजूरी 8 मई, 2018 को दी गई थी। उस समय राज्य में भाजपा की सरकार थी। अजमेर विकास प्राधिकरण ने जब जमीन आवंटन के लिए डिमांड नोट जारी किया था और राशि जमा कराई गई थी, तब भी प्राधिकरण में भाजपा का ही बोर्ड था। यानी कांटे की फसल भाजपा के राज में बोई गई थी। अब कांग्रेस राज में इस फसल को सींचा जा रहा है। वर्तमान में अजमेर विकास प्राधिकरण की कमान सरकारी हुक्मरानों के हाथ में है। जाहिर है, उन्होंने वही किया, जो उनको सरकार से हुक्म मिला। पहले तथ्यों पर गौर करते हैं। तेलंगाना के मुख्य सचिव की ओर से 17 मार्च, 2018 काे राजस्थान सरकार के नाम पत्र भेजा गया था। कोटड़ा में 8 मार्च, 2018 काे जमीन चिह्नित की गई। नगरीय विकास विभाग जयपुर ने 3 अप्रैल, 2018 काे भूमि आवंटन का प्रस्ताव का आदेश जारी किया। जिसके तहत अजमेर विकास प्राधिकरण की 30 अप्रैल, 2018 काे हुई बारहवीं बोर्ड बैठक में इसका अनुमोदन करके सरकार काे भेजा गया।
प्राधिकरण का तर्क है कि तेलंगाना हाउस व अल्पसंख्यक विभाग के हॉस्टल काे एक ही माना जा रहा है, जबकि दोनों अलग-अलग है। हॉस्टल हरिभाऊ उपाध्याय नगर में बनेगा। यह फेसेलिटी सेंटर कम रूबाथ गेस्ट हाउस है, जिसके लिए जमीन आवंटित की गई है। प्राधिकरण का कहना है कि यह मामला तेलंगाना सरकार व राजस्थान सरकार से सीधा जुड़ा हुआ है। पत्रावलियां भी वहीं से चली। जमीन का आवंटन भी सरकारी स्तर पर हुआ। इसी कारण जमीन आवंटन निरस्त करने का कार्य राज्य सरकार के स्तर पर ही हाेगा। अब जनता की राय जान लीजिए। नागरिकों का कहना है कि जब तेलंगाना सरकार ने राजस्थान सरकार को अजमेर में तेलंगाना हाउस व हॉस्टल बनाने के लिए जमीन आवंटित करने का पत्र भेजा था तो उस वक्त ही राजस्थान सरकार ने इंकार क्यों नहीं कर दिया था। क्या तेलंगाना सरकार को जमीन आवंटन की मंजूरी देना जरूरी था। सरकार चाहती तो जमीन आवंटित ही नहीं होने देती। सरकार ने जमीन आवंटित करने का पत्र अजमेर विकास प्राधिकरण को क्यों भेजा। यदि सरकार ने पत्र भेज भी दिया था तो अजमेर विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष और बोर्ड को जमीन आवंटित करने की जल्दबाजी करने की क्या जरूरत पड़ी थी। जब पिछले चार साल से यह मामला ठंडेबस्ते में पड़ा हुआ था तो इसे फिर से बाहर निकालने की क्या जरूरत थी। अब भाजपा और कांग्रेस द्वारा किए गए कर्मों की सजा जनता को भुगतनी पड़ेगी। इसीलिए जनता उद्वेलित और आक्रोशित है। जनता की चिंता यह है कि कहीं तेलंगाना हाउस व हॉस्टल बनने से अजमेर के सुकून भरे माहौल में अशान्ति का जहर ना घुल जाए। आगे क्या होगा, यह भगवान ही जाने।