गंगा जमनी संस्कृति के बाद ऐसा क्यों?

भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा व आसींद कस्बे में २५ जनवरी को जो घटनाक्रम हुआ उसके लिए आम जनता के बजाय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाना ठीक होगा। आसींद में १३ जनवरी को उपजे हालात पर प्रशासन अगर समय रहते सख्त रवैया अख्तियार कर लेता तो आज जिले की फिजां ये नहीं होती।
कहने को भीलवाड़ा बंद का आव्हान विहिप ने किया परंतु उसके पीछे देखा जाए तो कहीं न कहीं अपने अपने कस्बों में पुलिस व प्रशासन द्वारा समय समय पर की गई ज्यादती ही रही है। आसींद व गुलाबपुरा इसी ज्यादती का शिकार इस कदर हुआ कि वहां पर आज कफ्र्यू लगाया गया।
लोकल्याणकारी कार्याे की ढिंढोरा पीट रही राज्य सरकार के मुख्यिा अशोक गहलोत देर रात को जयपुर में गृह विभाग के आला अधिकारियों की बैठक कर भले ही समीक्षा करने का ढोंग रचा हो पर बैठक के बाद उनकी ओर से बयान दिया जिसमें कहा कि दो पक्षों के मध्य आपसी टकराव को टालने के लिए गुलाबपुरा व आसींद में कफ्र्यु लगाया गया है। अब उन मुखिया को कौन समझाये कि वहां पर दो पक्षों के मध्य टकराव पैदा करने वाला कौन था, ऐसे कौन से तत्व रहे जिनकी पुलिस व प्रशासन पहचान नहीं कर पाया। क्या जिले में गुप्तचर एजेंसी नाम की कोई ईकाई है।
गंगा जमनी की संस्कृति की दुहाई देने वाले भीलवाड़ा में आपसी सौहार्द को बिगाडऩे वालों का पर्दाफाश समय रहते नहीं किया गया तो आने वाला समय हम सबके लिए घातक परिणाम देगा। आज चाहे सभी राजनेता नोटो के कारण सामने नहीं आये परंतु कल इन्ही लोगों के वोटों को प्राप्त करने के लिए ये सभी उनके यहां डेरा डालने को आमादा होगें।
समय आ गया है कि समाज के हर व्यक्ति को सजग होकर अपने आस पास रहने वाले ऐसे संदिगध लोगों की पहचान कर उनको सामने लाना होगा तथा प्रशासन को इस हादसे के बाद सबक लेना होगा कि कानों के कच्चे होने से काम नहीं चलने वाला है। मेवाड़ की आन बान शान का खिताब यों ही नहीं मिला है, उसको प्राप्त करने के लिए जिले को कई कुरबानियां देनी पड़ी है।
खैर गुलाबपुरा व आसींद में कफ्र्यु के बाद अब यह हो गया है कि वहां के लोगों को झंडारोहण समारोह में भाग लेने के लिए लाख बार सोचना होगा। लोकतंत्र का सिरमौर कहने वाले देश में गणतंत्र दिवस समारोह में आम आदमी कैसे पहुंचेगा, इसका जवाब जिले के आला अफसर देने की स्थिति में नहीं है।
सरकार को भी अब सख्त रूख अख्तियार कर यह कड़ा फैसला लेना होगा कि बार बार भीलवाड़ा जिले की छवि को दागदार बनाने वाले अधिकारियों या सत्ता की कुर्सी का मोह रखने वालों को यहां से खदेड़ दे। सरकार को ऐसे अधिकारियों व कार्मिकों को चिन्हित कर उनको यहां से हटाने की कार्रवाई भी करनी पड़े तो करनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि सरकार हालात सुधारने के नाम पर आम जनता को परेशान होने के लिए भगवान के भरोसे छोड़ दे।
-मूलचंद पेसवानी, वरिष्ठ पत्रकार, भीलवाडा 

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