नरेन्द्र मोदी को भाजपा से खतरा!

n modi 8 aवैसे विरोधी तमाम आरोप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा पर लगाते है। इसमें एक आरोप साजिश रचने का होता है। आरोप लगाया जाता है कि संघ साजिश सिखाने में माहिर है। अब ताजा मामला नरेन्द्र मोदी के खिलाफ साजिश का है। खबर आयी कि 2012 मेंनितिन गडकरी ने ही नीतीश कुमार को अरूण जेटली के घर पर आश्वासन दिया था कि नरेन्द्र मोदी पीएम के उम्मीदवार नहीं होंगे। अब कम से कम पिछले तीन सालों में भाजपा के अन्दर जो राजनीति हुयी है, उसमें भाजपा विरोधियों का साजिश सम्बंधी आरोप सत्य नजर आता है। इस समय दिल्ली में भाजपा में बैठे हर नेता पीएम बनने का ख्वाब रखता है। इस चक्कर में एक तमाम नेता एक दूसरे के खिलाफ साजिश को अंजाम को दे रहे हैं। भाजपा की हालत यह है कि कोई भी राष्ट्रीय नेता किसी के साथ नहीं है। सारे एक दूसरे के खिलाफ ही लगे हैं। राजनाथ की लाल कृष्ण आडवाणी से नहीं बनती तो अरूण जेटली से भी उनकी नहीं बनती। अगर राजनाथ खुलकर नरेन्द्र मोदी का गुणगाण कर रहे हैं तो अन्दर खाते उनकी जड़े भी काट रहे हैं। उनकी पूरी कोशिश है कि मोदी ज्यादा विवादित हो जायें ताकि वे खुद सर्वसम्मति से पीएम पद का उम्मीदवार बन जायें।लाल कृष्ण आडवाणी की इच्छा अभी भी पीएम बनने की है। पहले नीतीश के मोदी विरोधी ब्यान से उनकी उम्मीद जगी तो बाद में उद्धव ठाकरे ने की उनकी उम्मीदें बढ़ा दीं। उधर मोदी के खास बनने वाले अरुण जेटली की राजनाथ सिंह नही बनती। पर अन्दर खाते अरूण जेटली मोदी की भी जड़ें काट रहे हैं। अब हालत यह है कि 11 अशोक रोड साजिशों का अड्डा हो गया है और नेताओं की मुखबिरों की भरमार पार्टी कार्यालय में हो गयी है।

इसे भाजपा का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सत्ता पक्ष की तमाम नाकामियों के बावजूद नेता कांग्रेस के बजाये अपने नेताओं के खिलाफ ही मोर्चा खोल कर बैठे हैं। समय मिलने के साथ ही एक दूसरे के खिलाफ सेटिंग शुरू हो जाती है। समय के साथ नेता पाला बदल लेते हैं। होते किसी और गुट के साथ हैं और दिखते कहीं और हैं। अब एक बड़ी आम धारणा इस समय बनी हुयी है कि अरूण जेटली और नरेन्द्र मोदी की पूरी दोस्ती है। एक प्रचार यह भी किया गया कि नरेन्द्र मोदी, अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका में रहेंगे और अरूण जेटली लाल कृष्ण आडवाणी की भूमिका में रहेंगे। नरेन्द्र मोदी जब भी दिल्ली आते, जेटली से मुलाकात करते, खाना खाते। लेकिन अन्दर की सच्चाई कुछ और है। दरअसल मोदी के बढ़ते कद को सबसे पहले नुकसान पहुँचाने वाले अरूण जेटली ही है।भाजपा कार्यालय में साफ तौर पर इस बात की चर्चा है कि बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान नरेन्द्र मोदी की बिहार एंट्री नीतीश ने अरूण जेटली के इशारे पर रोकी थी। हाल ही तक सुशील मोदी ने नरेन्द्र मोदी का विरोध अरूण जेटली के इशारे पर ही किया। नीतीश कुमार तो इसमें जाने-अनजाने में मोहरा बन गये। अब वो पीछे नहीं हट सकते है। क्योंकि वहाँ पर अरुण जेटली की भूमिका में शिवानंद तिवारी जैसे नेता है। अरूण जेटली की खासियत देखिए मोदी दिल्ली आते है तो जेटली के घर खाना खाते है। नीतीश दिल्ली आते है तो जेटली के घर खाना खाते है। नीतीश और मोदी दोनों एक दूसरे को देखना तक पसन्द नहीं करते पर खाना जेटली के घर ही खाते हैं। यानी कि जेटली दोनों के काफी करीब। अरूण जेटली भाजपा के उन नेताओं में हैं जिन्होंने जनाधार के बिना सब कुछ हासिल किया। इसमें सबसे बड़े योगदान संघ की परम्परागत चापलूस संस्कृति का रहा जहाँ मजबूती की जगह चापलूसी को तव्वजो दी जाती है। उसी परम्परा से नितिन गडकरी भी भाजपा में सबसे बड़े पद पर आसीन हो गये। महाराष्ट्र से बाहर आने के बाद नितिन गडकरी ने भी वही खेल शुरू कर दिया था जो दिल्ली के बाकी नेता कर रहे थे। मोदी के बढ़ते कद का भय इन्हें भी था। पीएम बनने का सपना वो भी देखने लगे थे।

संजीव पांडेय
संजीव पांडेय

नितिन गडकरी के सम्बंध में नये खुलासे ने भाजपा की पूरी राजनीति के हालात बता दिये हैं। नितिन गडकरी ने मोदी को नुकसान पहुँचाने की पूरी कोशिश की। नरेन्द्र मोदी को लेकर नीतीश कुमार से कमिटमेन्ट गडकरी ने किया था। ये कमिटमेन्ट अरूण जेटली के आवास पर हुआ था। कमिटमेन्ट यह था कि मोदी को पीएम का उम्मीदवार नहीं बनाया जायेगा। अब देखिए अजीब संयोग है। वैसे तो अरूण जेटली मोदी के खास है। लेकिन मोदी को पीएम नहीं बनाये जाने सम्बंधी कमिटमेन्ट भी जेटली के घर में ही नीतिन गडकरी नीतीश कुमार को दे रहे हैं। बेशक अब गडकरी इस बात का खण्डन करें लेकिन दिल्ली का राजनीति में आने के बाद जो खेल उन्होंने किया उसी खेल के तहत भाजपा नेताओं ने उन्हें निपटा भी दिया। वे अध्यक्ष पद की कुर्सी पर पहुँचते-पहुँचते इस्तीफा दे बैठे। …लेकिन भाजपा के नेताओं का खेल यही समाप्त नहीं होता। नितिन गडकरी और अरुण जेटली अकेले इस तरह के खेल में नहीं है। मोदी की तारीफ इस समय भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह कर रहे हैं। दरअसल भाजपा की अन्दरूनी जंग में राजनाथ की लॉटरी खुली। राजनाथ इसी से आशावान हैं। उनहें लगता है कि जंग जारी रही तो पीएम पद पर भी लाटरी उनकी खुलेगी क्योंकि आडवाणी की इच्छा अभी मरी नहीं है। मोदी की इच्छा से उनका टकराव होगा। बीच में सहमति के उम्मीदवार वो बन जायेंगे। राजनाथ सिंह पीएम बनने का यही ख्वाब देख रहे हैं। उनकी कुछ सिपाही जिसमें सुधाँशु त्रिवेदी जैसे नेता शामिल है लगातार उन्हें पीएम बनाने की योजना को लेकर बैठकें कर रहे है। इसके लिये तमाम खेल रचे जा रहे है। नीतीश कुमार और मोदी के बीच ताजा विवाद के पीछे राजनाथ की भी सहमति है। नीतीश कुमार और राजनाथ के बीच एक मजबूत कड़ी है केसी त्यागी। केसी त्यागी को लेकर नीतीश ने हाल ही में राजनाथ को उपकृत किया है। केसी त्यागी वैसे तो शरीर से जनता दल यूनाइटेड में हैं। लेकिन दिल उनका राजनाथ सिंह के साथ है। केसी त्यागी और राजनाथ सिंह के करीबी होने के कई कारण हैं। दरसअल पिछले कई सालों से केसी त्यागी राज्यसभा में जाने के लिये तरस रहे थे। शरद यादव की तमाम कोशिश के बावजूद नीतीश त्यागी को राज्यसभा में नहीं भेज रहे थे। लेकिन इस बार राजनाथ सिंह ने केसी त्यागी की सीधी सिफारिश नीतीश से कर दी। नीतीश ने राजनाथ की सिफारिश पर हामी भर दी। अभी तक शरद की सिफारिश को नहीं मानने वाले नीतीश ने राजनाथ सिंह की सिफारिश को मान तुरन्त केसी त्यागी को राज्यसभा भेज दिया। केसी त्यागी की घटना बताने के लिये यह काफी है कि नीतीश और राजनाथ के सम्बंध कितने प्रगाढ़ हैं। राजनाथ सिंह नीतीश-मोदी विवाद को और बढ़ाने के पक्ष में हैं ताकि आडवाणी के और मोदी के बजाये सर्वसम्मति से उनका दाँव पीएम पद पर लग जाये।

हालाँकि इस साजिशों की जानकारी नरेन्द्र मोदी को है। सारे घटनाक्रम की जानकारी मोदी को दिल्ली से मिल रही है। मोदी भी अपने हिसाब से तमाम खेल कर रहे हैं। मोदी लाल कृष्ण आडवाणी, राजनाथ, अरूण जेटली समेत तमाम नेताओं की चाल को समझ रहे हैं। अशोक रोड में मोदी के मुखबिर इस समय चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं। वे एक-एक नेताओं की चालों की पल-पल की सूचना मोदी को दे रहे हैं। हाल ही में दिल्ली में जब नीतीश ने जनता दल यूनाइटेड की बैठक में मोदी पर हमला बोला तो भाजपा की तरफ से भी जवाब आया। भाजपा नेताओं ने गोधरा काण्ड को लेकर नीतीश को घेरा। भाजपा की प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी औरसचिव रामेश्वर चौरसिया ने मोर्चा सम्हाला। उन्होंने नीतीश को गोधरा काण्ड के लिये जिम्मेवार बताया। लेकिन अपनी पार्टी के इस स्टैण्ड पर राजनाथ समर्थक तिलमिला गये। वे पार्टी कार्यालय में कहते सुने गये कि गोधरा ट्रेन दुर्घटना से नीतीश को जोड़ने की क्या जरूरत थी। राजनाथ समर्थकों की इस कानाफूसी की  सूचना तुरन्त मोदी को मोदी के मुखबिरों ने दी। बस फिर क्या था मोदी का जवाबी हमला भी सामने आया। राजनाथ सिंह के घोर विरोधी कल्याण सिंह अगले दिन मोदी के समर्थन में ब्यान देने आ गये। उन्होंने नरेन्द्र मोदी को देश का सबसे लोकप्रिय नेता बता डाला। उन्होंने नीतीश को भी आड़े हाथों लिया। कल्याण का ब्यान राजनाथ को संकेत था।उतर प्रदेश में ही राजनाथ को घेरने की योजना बनाने में मोदी को ज्यादा समय नहीं लगेगा। दरअसल भाजपा का कोई नेता मोदी के सामने आकर विरोध करने से डर रहा है। इसलिये मोदी पर हमला नीतीश और उद्धव के माध्यम से बुलवाया जा रहा है। लेकिनभाजपा नेताओं के मोदी भय का कारण सिर्फ मोदी की लोकप्रियता ही नहीं,बल्कि उनकी अपनी कमजोरी है। अरुण जेटली, राजनाथ सिंह से लेकर लाल कृष्ण आडवाणी कैम्प के कई नेताओं की कमजोरी मोदी ने पकड़ रखी है। हाल ही में अरूण जेटली के टेलीफोन टेपिंग के विवाद में नरेन्द्र मोदी की रूचि लिये जाने की चर्चा पूरे पार्टी में है। दिलचस्प तरीके से अरूण जेटली ने इस पूरी घटना पर चुप्पी साधे रखी है क्योंकि इस मसले पर कुछ बोलने का मतलब है अपना ही नुकसान करना।

संजीव पांडेय, लेखक, स्वतंत्र पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक हैं। हस्तक्षेप डॉट काम से साभार

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