–समीर चौगांवकर– आडवाणी से पीएम इन वेटिंग की दावेदारी छीननेवाले नरेन्द्र मोदी ने भले ही दावेदार बनने के बाद लालकृष्ण आडवाणी के घर का रुख किया हो लेकिन हकीकत यह है कि मोदी को आडवाणी के घर के भीतर प्रवेश नहीं मिला। दिल्ली के 30 पृथ्वीराज रोड स्थित आडवाणी के घर की चारदीवारी के भीतर मोदी को प्रवेश तो मिला लेकिन वे हमेशा की तरह इस बार बैठक (ड्राइंगरूम) तक नहीं बुलाये गये। घर के भीतर आडवाणी के दफ्तर में ही मोदी को बिठाकर रखा गया जहां आडवाणी ने आकर मोदी से मुलाकात की।
आडवाणी के घर पहुंचने पर दोनो नेताओं के बीच बैठक लगभग तीस मिनट चली। विश्वस्त सूत्रों के हवाले से खबर है कि मोदी ने आडवाणी से कहा कि आज पार्टी जिस मुकाम पर है वह आपके और अटल जी के कारण ही है। मोदी ने आडवाणी से कहा कि आप हमेशा मेरे मार्गदर्शक रहे है और राजनीति में मेरे आदर्श रहे है। आपके मार्गदर्शन की जरूरत मुझे पग पग पर रहेगी। इस पूरी बैठक में आडवाणी ज्यादातर समय मौन रहे।
आडवाणी ने जाते वक्त मोदी से कहा कि उन्हे उनसे व्यकितगत कोर्इ शिकायत नही है लेकिन उन्होने जो मुददे उठाए है उसका निराकरण वे पार्टी अध्यक्ष से चाहते हैं। मोदी ने आडवाणी की पत्नी कमला आडवाणी से पैर छूकर आशिर्वाद लिया। आडवाणी के घर में ड्राइंगरूम में बैठकर आडवाणी से मिलने वाले मोदी को इस बार आडवाणी के ड्राइंगरूम में जगह नही मिली। मोदी को आडवाणी के घर में बने कार्यालय मे बिठाया गया और वही आकर आडवाणी ने मोदी से मुलाकात की।
पदमोह में झुकी सुषमा!
नरेन्द्र मोदी के नाम की घोषणा न करने के लिए आडवाणी के साथ मजबूती से खड़ी सुषमा स्वराज ने गुरूवार देर रात मोदी के नाम पर सहमती दर्शाते हुए हथियार डाल दिए। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से खबर है कि पार्टी अध्यक्ष राजनाथ के साथ गुरूवार को हुर्इ सुषमा स्वराज की बैठक में राजनाथ ने सुषमा को स्पष्ट कर दिया था कि मोदी के नाम पर निर्णय हो चुका है। मोदी के नाम का विरोध जारी रखना और संसदीय बोर्ड की बैठक में जानबूझकर अनुपसिथति रहकर पार्टी को असहज स्थिति मे डालना अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना जा सकता है। इसी बैठक में राजनाथ ने सुषमा को संकेतों में कह दिया कि उनका विपक्ष के नेता का पद भी उनके इस व्यवहार से खतरे में पड़ सकता है। सूत्र बताते है कि विपक्ष के नेता के पद को बचाए रखने के लिए सुषमा ने मोदी के नाम पर सहमति दी।
भाजपा में सुरेश सोनी का सीधा दखल लगभग खत्म!
संघ और भाजपा के बीच समन्वयक की जिम्मेदारी निभा रहे संघ के सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी की भाजपा के मामलो में सीधे दखल की भूमिका लगभग खत्म हो गर्इ हैं। संघ सूत्रो के हवाले से खबर है कि संघ और भाजपा के नेताओ के बीच दिल्ली में 8 और 9 सितंबर को हुर्इ बैठक में वार्ता के सभी सूत्र संघ के सरकार्यवाह भैया जी जोशी के हाथ में थे। मोदी की ताजपोशी और आडवाणी के नाराजगी को लेकर दो दिन चले दिल्ली के ड्रामे का पटाक्षेप भी पर्दे के पीछे रहकर संघ के भैया जी जोशी ने ही किया। इस पूरे प्रकरण से सुरेश सोनी को दूर रखना इस बात का संकेत है कि अब भाजपा के सम्बध मे बड़े फैसलों में सुरेश सोनी की भूमिका नगण्य होगी।
मोदी के लिए आसान नही होगा फैसलों पर मुहर लगवाना।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंन्द्र मोदी को पार्टी ने आड़वाणी को दरकिनार कर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भले ही घोशित कर दिया हो लेकिन मोदी को अपने फैसलो को मंजूर करवाना आसान नही होगा। नरेंन्द्र मोदी को जिन दो पदो पर बडें धूम धड़ाके से बैठाया गया है दरअसल वे दोनो पद ‘चुनाव प्रचार अभियान समिति’ और ‘प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार’ का भाजपा के संविधान में कोई जिक्र नही है। नरेन्द्र मोदी को अपने प्रचार अभियान से सम्बधित सभी निर्णयो को भाजपा के केन्द्रीय चुनाव समिति से मंजूर करना होगा। जहा पर संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यो के अलावा सात अन्य सदस्यो को मिलाकर कुल उन्नीस सदस्य है। मोदी का विरोध करने वाले आडवाणी और मोदी को भारी मन से सिवकार करने वाली सुशमा स्वराज का जहा अच्छा खासा समर्थन हैं उस केन्द्रीय चुनाव समिति से मोदी को अपने फैसलो पर मुहर लगवाना आसान नही होगा। तय है ये मोदी के निर्णयो को केन्द्रीय चुनाव समिति में रोड़ा डालने की हरसंभव कोशिश टीम आडवाणी करेगी।
सभी जिम्मेदारी निभाएगें मोदी
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होने के बाद भी गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ साथ चुनाव अभियान समिति के प्रमुख पद की जिम्मेदारी भी निभाते रहेगें। http://visfot.com