आडवाणी को एनडीए से भी हटाना चाहते हैं मोदी

bjp_bhopalभारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से पीएम इन वेटिंग का पद छीनने के बाद अब नरेन्द्र मोदी उन्हें एनडीए अध्यक्ष पद से भी हटाने के लिए सक्रिय हो गये हैं। नरेन्द्र मोदी को लगता है कि अगर लालकृष्ण आडवाणी एनडीए अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठे रहते हैं तो भविष्य में वे उनके लिए कोई खतरा पैदा कर सकते हैं इसलिए न सिर्फ आडवाणी को एनडीए से हटाने का प्रयास शुरू कर दिया है बल्कि नया एनडीए बनाने के लिए एनडीए विस्तार समिति के गठन का प्रस्ताव भी किया है। भाजपा के भीतर मोदी के लिए काम कर रहे मोदी के रणनीतिकार मानते हैं कि नरेन्द्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी से क्षेत्रीय दलों का समर्थन नहीं मिलेगा, यह सोचना या तर्क देना गलत है। हां, मोदी के रणनीतिकारों का इतना मानना जरूर है कि अगर आडवाणी एनडीए के अध्यक्ष बने रहे तो वे जरूर मोदी के रास्ते में रोड़ा अटका सकते हैं। इसलिए नरेन्द्र मोदी आडवाणी को अब एनडीए से भी चलता कर देना चाहते हैं।

इसके लिए बीते 20 सितंबर को नरेन्द्र मोदी के साथ पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और संघ के सह-सरकार्यवाह सुरेश सोनी के बीच एक बैठक भी हो चुकी है। बैठक में मोदी ने राजनाथ सिंह को सुझाव दिया है कि अब वक्त आ गया है कि एनडीए अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी किसी युवा नेता को दी जाए। अरुण जेटली को भाजपा अध्यक्ष बनवाने में नाकाम रहे नरेन्द्र मोदी अब जेटली को नया एनडीए अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं।

मोदी रणनीति के तीन सूत्र: एनडीए को लेकर मोदी का पहला सूत्र है कि वे एनडीए विस्तारक समिति बनाना चाहते हैं। इसमें वरिष्ठ और निर्वाचित नेता होंगे। समिति का जिम्मा एनडीए का कुनबा बढ़ाना होगा। वह समिति गैर कांग्रेसी दलों और एनडीए का हिस्सा रहे दलों से संपर्क करेगी। भाजपा छोड़कर गये नेताओं को भाजपा में वापसी और वापसी की स्थिति न बनने पर उनके साथ गठबंधन की कोशिश की जाएगी। जिसमें झारखण्ड में बाबूलाल मरांडी और कर्नाटक के येदियुरप्पा प्रमुख हैं। अभी तक आडवाणी के विरोध के कारण ही कर्नाटक में येदियुरप्पा भाजपा के करीब नहीं आ पाये हैं जिसे देखते हुए नरेन्द्र मोदी अब उन्हें एनडीए से ही हटाना चाहते हैं। एनडीए को लेकर मोदी का दूसरा सूत्र है कि वे इस भ्रम को तोड़ना चाहते हैं कि वे राजनीतिक दलों के बीच नफरत के नेता हैं। एनडीए के विकल्प के जरिए वे क्षेत्रीय दलों में अपनी स्वीकार्यता स्थापित करना चाहते हैं। एनडीए से जुड़ा मोदी का तीसरा सूत्र है कि जिन राज्यों में भाजपा के लिए कोई खास संभावना नहीं है वहां चुनाव पूर्व या फिर चुनाव के बाद क्षेत्रीय दलों से समझौता किया जाएगा। http://visfot.com

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