उद्धव के अपमान का बदला सामना ने संपादकीय से ले लिया

uddhav-thackerayसप्ताह की शुरूआत में सोमवार को नरेन्द्र मोदी मुंबई में थे। दिल्ली में रविवार को रैली करने के बाद वे मुंबई में डायमंड मर्चेण्ट एसोसिएशन के एक हाल का उद्घाटन करने गये थे। एसोसिएशन का यह हाल जिस जगह बना है वह मुंबई का बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स है जहां हीरा व्यापारियों को नये सिरे से कारोबार के लिए बसाया जा रहा है। यह बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स जिस जगह पर है वहां से कुछ ही दूरी पर मातोश्री है। मातोश्री यानी बाल ठाकरे का घर। इस तरह कह सकते हैं कि यह कार्यक्रम शिवसेना के घर में आयोजित किया गया था इसलिए कार्यक्रम में कारोबारियों ने बाल ठाकरे के पुत्र और शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को बतौर वक्ता निमंत्रित किया था।
उद्धव ठाकरे आये भी। उन्होंने आफ द रिकार्ड मोदी से बात भी की लेकिन वहां की व्यवस्था ऐसी बनाई गई थी सिंहासन पर मोदी को बैठाया गया था और बाकी लोगों को उनके आस पास टिका दिया गया था। मुंबई में शिवसेना की राजनीति को समझनेवाले लोगों के लिए यह थोड़ा सा चौंकानेवाला नजारा रहा होगा क्योंकि मुंबई के जिस मातोश्री में लोग बाल ठाकरे से मिलने जाते थे वहां एक ही सिंहासन होता था जिस पर बाल ठाकरे बैठते थे। कुछ कुछ वैसा ही सिंहासन व्यापारियों ने यहां नरेन्द्र मोदी को दे दिया और उद्धव ठाकरे को बगल की कुर्सी पर बिठा दिया।
लेकिन यह एकमात्र ऐसा व्यवहार नहीं था जो उद्धव ठाकरे के लिहाज से अपमानजनक रहा हो। नियत कार्यक्रम के अनुसार उद्धव ठाकरे को वहां दस मिनट भाषण भी देना था लेकिन बताया जा रहा है कि मोदी के इशारे पर उद्धव को बोलने का मौका नहीं दिया गया। यह शिवसेना के अध्यक्ष का उनके ही घर में ऐसा तिरस्कार था जिससे शिवसेना का चिढ़ जाना स्वाभाविक था।
अभी हफ्ता बीता भी नहीं था कि जल्द ही शिवसेना को जवाब देने का मौका मिल गया। दिल्ली में देवालय और शौचालय का बयान देने के बाद मोदी की जो आलोचना शुरू हुई तो सप्ताहांत में शिवसेना ने शनिवार को एक संपादकीय लिखकर मोदी को मैसेज भेज दिया कि वे अपमान का बदला अपने स्टाइल में लेना जानते हैं। संपादकीय में नरेन्द्र मोदी पर बहुत तीखा वार करते हुए कहा गया है कि कांग्रेस को चाहिए वह नरेन्द्र मोदी को अपने शौचालय प्रोजेक्ट का ब्रांड एम्बेसडर बना दे।
वैसे भी नरेन्द्र मोदी और शिवेसना के बीच संबंध कभी मधुर नहीं रहे हैं। राजनाथ सिंह की पहल पर यह दिखाने की कोशिश होती रही है कि शिवसेना को मोदी पसंद है लेकिन राजनीतिक हकीकत यह है कि नरेन्द्र मोदी महाराष्ट्र में भाजपा को अकेले आगे बढ़ने का नारा दे चुके हैं। अगर मोदी की मर्जी चली तो लोकसभा में भी बजाय गठबंधन के बीजेपी अकेले मैदान में उतर सकती है। कम से कम मुंबई के कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे को बोलने का मौका न देकर मोदी ने मैसेज तो दे ही दिया है कि अब हिन्दुत्व का असली शेर कौन है। http://visfot.com

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