जसवंत सिंह-मानवेन्द्र में रणनीतिक दूरी

j1j 2बाड़मेर। राजस्थान में बाड़मेर जिले के शिव से भाजपा विधायक मानवेन्द्र सिंह भी आज अपने पिता पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बाड़मेर से नामांकन दाखिल करने के दौरान उनके साथ नजर नहीं आए। सिंह के साथ भाजपा का कोई विधायक नहीं था उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह ने भी दूरी बनाए रखी।
यह कहा जा रहा है कि रणनीतिक रूप से सिंह अपने पुत्र को साथ नहीं लाए। दोनों पिता पुत्र में काफी समय तक बातचीत हुई थी तथा यह माना जा रहा था की मानवेन्द्र भी उनके साथ रहेंगे। इससे पहले मानवेन्द्र ने अपने पिता के साथ जाने में हिचक दिखाई थी वह कहा था कि वह एक महिने की छुट्टी पर रहेंगे। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने रविवार को जब बाड़मेर जिले के विधायकों की बैठक बुलाई तो उसमें मानवेन्द्र नहीं आए। विधायकों का कहना था कि जनता जसवंत सिंह के साथ है अत: तब राजे ने विधायकों से कहा कि वह अपने क्षेत्र में खड़े हो जाए तो जनता भाजपा उम्मीदवार कर्नल सोनाराम के साथ आ जाएगी। पूर्व के न्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने बाड़मेर से निर्दलीय नामांकन दाखिल कर भारतीय जनता पार्टी के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है। सिंह अपने 200 वाहनों के काफिले के साथ निर्वाचन कार्यालय पहुंचे तथा नामांकन पत्र दाखिल किया। समर्थकों ने भाजपा के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
भाजपा के उम्मीद्वार कर्नल सोनाराम के समर्थन में मंगलवार को एकजनसभा होगी जिसे मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सम्बोधित करेगी। सिंह के समर्थन में क्षेत्र के विधायक भी साथ आ गए थे लेकिन राजे की समझाइश के बाद वह मान गए। सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
जसवंत ने कहा राजनाथ और वसुंधरा राजे ने गद्दारी कि 

जसवंत सिंह ने भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर धोखा देने का आरोप लगाया। बाड़मेर के आदर्श स्टेडियम में रैली को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा,राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए मैंने वसुंधरा राजे के नाम का सुझाव दिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए राजनाथ सिंह के नाम का सुझाव दिया। इन दोनों ने मुझे धोखा दिया।

“राहत महसूस कर रहा हूं”
जसवंत सिंह ने कहाकि नामाकंन दाखिल करने के बाद वह राहत महसूस कर रह हैं। साथ ही उन्होंने कहाकि पार्टी में तानाशाही आ गई है। “नामांकन दाखिल कर मैं काफी राहत महसूस कर रहा हूं। पार्टी में नए और पुरानी विचारधारा की लड़ाई है। ये केवल मेरे साथ धोखा ही नहीं है बल्कि एक तरह से तानाशाही है। जिसके तहत वरिष्ठ नेताओं और पार्टी के कार्यकर्ताओं का अपमान किया जा रहा है।”

ऎसा तो कोई चपरासी के साथ भी नहीं करता
जिन्ना को सेकुलर कहने के बाद पार्टी से निकाले जाने के मुद्दे को याद करते हुए जसवंत सिंह ने कहाकि,”शिमला कंवेंशन के बाद जिस तरह से उन्हें निकाला गया, उस तरह से किसी चपरासी को भी नहीं निकाला जाता है।” उन्होंने कहाकि उस घटना के बाद मेरे परिवार के लोगों ने भाजपा में फिर से शामिल होने से इंकार किया था। मेरे परिजनों ने कहाकि भाजपा अब कांग्रेस की तरह हो गई है और केवल वोट बैंक की राजनीति करने लगी है।

आडवाणी ने दिया था टिकट को समर्थन
जसवंत सिंह ने कहाकि मैंने पार्टी को टिकट देने के लिए तीन विकल्प दिए थे। इनमें से बाड़मेर भी एक है। इस बारे में लाल कृष्ण आडवाणी ने मुझे आश्वासन देते हुए कहा था,”क्यों नहीं?” इसके बावजूद मुझे टिकट नहीं दिया
किसी ने नहीं किया सम्पर्क

जसवंत सिंह कहा कि पार्टी छोड़ने के बारे में 48 घंटे की समय सीमा तय किए जाने के बावजूद भाजपा से किसी ने भी उनसे सम्पर्क करने का प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा, “यदि मैं अपने घर और पार्टी के बारे में भावुक नहीं हूं तो मैं किस बारे में भावुक होऊंगा, यदि पार्टी ने मुझसे बात करने का निर्णय किया है तो वे मेरा नम्बर जानते हैं और यह भी कि मुझ तक कैसे पहुंचा जा सकता है। जब से मैं यहां हूं, किसी ने भी मुझसे सम्पर्क करने का प्रयास नहीं किया।

मैं फर्नीचर का टुकड़ा नहीं :
उनकी (जसवंत सिंह की) सेवाओं का उपयुक्त ढंग से उपयोग करने की भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टिप्पणी के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, “मैं फर्नीचर का टुकड़ा नहीं हूं। “समायोजन” विशेषण अपने आप में मानसिकता को दर्शाता है। आप सिद्धांतों का समावेश नहीं कर सकते और यह अपमानजनक है।” चुनाव के बाद भरपाई करने की पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की टिप्पणी की कड़ी आलोचना करते हुए सिंह ने कहा, “मैं इस विचार को खारिज करता हूं और मैं इसके पीछे की मानसिकता को भी खारिज करता हूं। ”

मुख्यमंत्री जाएंगी बाड़मेर
वहीं कर्नल सोनाराम के पक्ष में भाजपाइयों को करने के लिए मंगलवार को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बाड़मेर जाएंगी। सोनाराम के नामांकन दाखिल करने के दौरान मुख्यमंत्री राजे मौजूद रहेंगी। साथ हीइस मौके पर पर वह रैली को भी संबोधित कर सकती हैं।

chandan bhati

1 thought on “जसवंत सिंह-मानवेन्द्र में रणनीतिक दूरी”

  1. Wha re mere desh ke neta o janta se to umeed karte ho ki samarthan khul kar kare par jab ghar ke bete ki bari aati hai to mla ke seat bachane va anusasanatmak karvahi ke bhay se ranneetic duriya banalete hai.

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