दमोह संसदीय क्षेत्र में 50.61 प्रति. हुआ मतदान

स्वीप प्लान की खुली पोल चर्चा का विषय
अधिकांश मतदाताओं को नहीं मिली फोटो युक्त मतदाता पर्ची
 ईडीसी की सील लगी होने पर अधिकांश रहे मतदान से वंचित
evmDSC04864-01-डा. एल. एन. वैष्णव / डा. हंसा वैष्णव- दमोह/ लोकसभा आम चुनाव की प्रक्रिया के चलते प्रत्यासियोंं का भविष्य ईव्हीएम मशीन में बंद हो गया। देश के जिन 121 संसदीय क्षेत्रों में से मध्यप्रदेश की जिन सीटों पर पांचवें चरण अर्थात् 17 अप्रेल को मतदान होना था उनमें से दमोह संसदीय सीट क्रमांक 07 भी एक थी। जहां मैदान में उतरे विभिन्न राजनैतिक दलों के तथा निर्दलीय प्रत्यासियों के रूप में अपना भाग्य आजमाने वालों में से 10 की किस्मत को मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुये ईव्हीएम मशीन में बंद कर दिया जो कि 16 मई को देश के सामने आ जायेगा। जनता ने किसको अपना आशीष देते हुये अपना प्रतिनिधि चुना और किसको अस्वीकार किया । फिल्हाल अभी तो जो चर्चा का विषय है वह बना हुआ है लगातार प्रयास के बाद भी मतदान के प्रतिशत में उम्मीद के मुताबिक बढोत्तरी की सफलता न मिलना। जो कि स्वीप प्लान के दावों और प्रयासों की पोल खोलते हुये देखा जा सकता है। अधिकांश मतदाताओं को तो मतदान केन्द्रों पर भटकते देखा गया जो कि अनेक कारणों से मतदान नहीं कर पा रहे थे। अनेक नामों के आगे ईडीसी की सील तो अनेको को फोटो युक्त मतदान पर्ची का न मिलना इनमें से एक रहा। दमोह संसदीय क्षेत्र में हुये मतदान के प्रतिशत के संबध में जिला निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 50.61 प्रति.मतदान किया गया है।
कहां कितना हुआ मतदान-
दमोह संसदीय क्षेत्र क्रमांक 07 के आठों विधानसभाओं में से 56 जबेरा में सर्वाधिक तो 42 बण्डा में सबसे कम मत डाले गये। संपूर्ण संसदीय क्षेत्र में 58.79 प्रतिशत पुरूष एवं 41.22 प्रतिशत महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया यानि 50.61 प्रतिशत जागरूक मतदाताओं ने अपने मतदान का प्रयोग किया। ज्ञात हो कि 8 विधानसभा वाले दमोह लोकसभा में से एक आरक्षित जबकि बाकी सब अनारिक्षत हैं। जिसमें दमोह जिले की चार 54 पथरिया,दमोह 55,जबेरा 56 एवं 57 हटा है,वहीं सागर जिले की 38 देवरी,39 रहली,42 बंंडा,छतरपुर की 53 मलाहरा सीट सम्मिलित है।
17 अप्रेल को हुये मतदान के दौरान विधानसभा क्षेत्र 38 देवरी में 51.37 पुरूष एवं 34.00 प्रति.महिलाओं यानि 43.24 प्रतिशत मतदाओं ने वोट दिया। वि.सभा क्रमांक 39 रहली में 56.17 पुरूष एवं 30.39 महिलाओं ने अर्थात् 44.17 प्रति.मतदाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया है। ज्ञात हो प्रदेश के कदवर मंत्री  एवं बुंदेलखण्ड के शेर कहे जाने वाले गोपाल भार्गव का क्षेत्र रहली है जहां से उनके पुत्र अभिशेष दीपू भार्गव लोकसभा प्रत्यासी के लिये दावेदारी कर रहे थे। यहां इस बात का उल्लेख कर देना भी आवश्यक हो जाता है कि विधानसभा चुनाव में बिना क्षेत्र में निकले इसी क्षेत्र से गोपाल भार्गव ने एैतिहासिक जीत दर्ज करायी थी। वहीं वि.स.क्रमांक 42 बण्डा में 46.58 प्रति.पुरूष एवं 27.05 महिलाओं ने यानि 37.58 प्रतिशत मतदान किया गया। विदित हो कि वर्तमान सांसद शिवराज भैया यहीं के निवासी हैं जिन्होने अपनी पुन:दावेदारी प्रस्तुत की थी। आठों विधानसभाओं के मतदान प्रतिशत में सर्वाधिक कम मतदान यहीं हुआ है। वहीं वि.सभा क्षेत्र क्रमांक 53 मलहरा में 57.36 पुरूष एवं 40.50 महिला यानि 49.70 प्रति.मतदान हुआ। इसी क्रम में वि.स.क्रमांक 54 पथरिया में 63.99 पुरूष एवं 44.86 महिला यानि 55.10 प्रतिशत मतदान हुआ। वि.सभा क्रमांक 55 दमोह में 63.15 पुरूष एवं 50.58 महिला अर्थात् 57.23 प्रति.मतदान हुआ। विधानसभा क्रमांक 56 जबेरा में 66.96 पुरूष एवं 53.90 महिला यानि 60.77 मतदान हुआ जो संसदीय क्षेत्र की आठों विधानसभाओं में से सर्वाधिक है। इसी क्रम में विधानसभा क्रमांक 57 हटा में 64.57 पुरूष एवं 48.16 महिला यानि 57.14 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
कहां कितने मतदाता,कितनों किया मतदान-
संपूर्ण लोकसभा क्षेत्र में 1,358,234 बतलाये जाते हैं,अगर विधान सभावार मतदाताओं की संख्या पर नजर डालें तो देवरी में 160,350,में मतदाता हैं जबकि यहां पर 43.24 मत पडे। रहली में 176,108, मतदाताओं में से 44.17 प्रति.मतदाओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। बंडा मेें 176,993,मतदाताओं में  37.58 प्रतिशत मतदान किया । मलहरा में 150,503 में से  49.70 प्रति.मतदान हुआ। इसी क्रम में पथरिया में 165,758 में से 55.10 प्रतिशत मतदान हुआ। दमोह 185,489 में से 57.23 प्रति.मतदाओं ने मताधिकार किया। जबकि जबेरा में 169,816 मतदाओं में से 60.77 एवं हटा में 173,217 मतदाताओं में 57.14 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
मतदाताओं को नहीं बांटी बीएलओ ने पर्ची-
देश के आम चुनाव के चलते अधिकांश मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग इसलिये नहीं कर पाये कि उनको मिलने वाली फोटो युक्त मतदाता पर्ची बीएलओ द्वारा नहीं प्रदान नहीं की गयी। वहीं अधिकांश जागरूक मतदाता अपने मतदान स्थल पर पहुंच अपने मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचे और अपना नाम वोटर आईडी को लेकर मतदाता सूची में नाम दिखवाकर मतदान का प्रयोग करते देखे गये। परन्तु जिनके कंधों पर इसकी जबाबदारी सौंपी गयी थी उनमें से अधिकांश की लापरवाही का परिणाम मतदान पर पडा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता? शहर के अधिकांश मतदान केन्द्रो के बाहर थोक के भाव में मतदाता पर्ची लिये बीएलओ बैठे देखे गये जो इनकी कार्य के प्रति लापरवाही एवं जागरूक मतदाता जो यहां अपना नाम तलासते और मतदान करते देखे गये वह राष्ट्र के प्रति वफादार होने की बात की ओर ईशारा करता है।  बात करें रामकुमार विद्यालय,जेपीबी विद्यालय,केंद्रीय विद्यालय,मांगज स्कूल सहित अनेक जगहों पर यही हाल देखा गया इसी क्रम में अनेक ग्रामों के पोलिंग स्टेशनों से भी कुछ इसी प्रकार की खबर निकलकर सामने आयी है। ज्ञात हो कि पूर्व में यह जिम्मेदारी राजनैतिक दल निभाते थे परन्तु भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश पर यह कार्य जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा बीएलओ से कराया जाता है। मतदान के प्रतिशत का कम होने के लिये एक बडा कारण यह भी माना जा रहा है।
 ईडीसी के चलते मतदान नहीं कर पाये –
जी हां ईडीसी यानि इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट जिसका प्रयोग देश में प्रथम बार किया गया परन्तु यह अधिकांश जागरूक मतदाताओं के लिये जी का जंजाल बन गया जिसके चलते वह अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाये। दरसल मामला यह है कि एैसे कई लोग भटकते देखे गये जिनके नाम के आगे लाल रंग में मतदाता सूची में लाल रंग से ईडीसी लिखा था। विदित हो कि ईडीसी उन लोगों के लिये जारी करने का प्रावधान है जो कि निर्वाचन कार्य में लगे हुये हैं वह अपने मतदान स्थल को छोडकर कहीं भी संसदीय क्षेत्र के मतदान कंंन्द्र में ईव्हीएम मशीन पर ही वोट कर सकते हैं। जैसे ही ईडीसी को कर्मचारी मतदान स्थल पर पीठासीन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करता है वह उसका नाम मतदाता सूची के अंत में दर्ज कर उसको मतदान की अनुमति प्रदान करता है। पूर्व में पोस्टल बेलट पेपर का प्रयोग किया जाता था।
ईडीसी का प्रयोग एैसे सामान्य मतदाताओं के नाम के आगे कर उनको मतदान से वंचित करने की दिशा में एक कदम आगे बढा दिया लापरवाह अधिकारी कर्मचारियों ने जिसके चलते वह मत नहीं दे पाये। प्राप्त जानकारी के अनुसार मतदान क्रमांक 155 के तरूण कुमार जो कि एसबीआई से सेवानिवृत 1995 में हो गये थे के नाम के आगे ईडीसी लिख दिया गया था। जिन्होने दुखी मन से बतलाया कि लापरवाही के चलते हम अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाये। वहीं मांगज वार्ड के मतदान केन्द्र क्रमांक 529 के एक मतदाता जो मजदूरी का कार्य करते हैं के नाम के आगे ईडीसी लिखे होने पर वह भी मतदान नहीं कर पाये।
स्वीप प्लान की खुली पोल-
सारे काम छोड दो सबसे पहिले वोट दो के नारे के साथ स्वीप प्लान की पोल उस समय खुलते दिखी जब मतदाताओं में उत्साह की कमी दिखी। अधिकांश पोलिंग स्टेशनों पर सुनसान नजारा देखा गया। विदित हो कि स्वीप प्लान के तहत बेनर पोस्टर,पीले चांवल,गुलाल के वितरण का सहारा लिया गया था। लाखों रूपये इनमें खर्च होने की चर्चा लगातार सामने आती रही है। वाहनों में डीजल,पेट्रोल की बात हो या फिर चांवल गुलाल कितनी आयी कितनी गयी यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है। छपा और दिखा की बीमारी के प्रकोप से पीडित दिखते रहने वाले अधिकारी कर्मचारी कभी जनसंपर्क का तो कभी अपने ही माध्यम का प्रयोग करते दिखते रहे। विधानसभा में बढे मतदान का प्रतिशत को लेकर गदगद होने वालों के चेहरों से हवाईयां उडती देखी जा रही हैं।
 क्या रहा है दमोह का इतिहास- 
अगर क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर 5 बार कांग्रेस,1 बार भारतीय लोकदल,7 बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत का परचम लहराया है। वैसे 1989 से लेकर वर्तमान तक भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में दमोह सीट बनी हुई है। यहां विजयश्री का वरण करने वालों के नामों पर नजर डालें तो 1962 में कांग्रेस की सहोद्रा बाई,1967 में कांग्रेस के एमजेबी पटैल,1971 में कांग्रेस की टिकिट पर पूर्व राष्ट्रपति के पुत्र वाराह गिरी शंकर गिरी,1977 में भारतीय लोकदल से नरेन्द्र सिंह यादवेन्द्र सिंह,1980 में कांग्रेस के प्रभुनारायण टण्डन,1984 में डालचंद्र जैन,1989 में भारतीय जनता पार्टी के लोकेन्द्र सिंह,1991 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1996 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1998 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,1999 में भारतीय जनता पार्टी से डा.रामकृष्ण कुसमरिया,2004 में भारतीय जनता पार्टी के चन्द्रभान सिंह लोधी,2009 में भारतीय जनता पार्टी शिवराज सिंह लोधी ने जीत प्राप्त की थी।

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