अपने बचाव के लिए अध्यापक कर रहे है संत्राकों में गड़बड़ी

अराई। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार चाहे कितने ही प्रयास करे लेकिन बोर्ड परीक्षाओं केे परिणामों को देखने से साफ तौर पर जाहिर होता है कि छात्रों से ज्यादा अध्यापकों की तरफ से लापरवाही बरतने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। विभागीय कार्यवाही से बचने के लिए विषयाध्यापक अपने बचाव को बनाये रखते हुए छात्रों के भविष्य को अंधकार में डालने को मजबूर है। अध्यापकों द्वारा भेजे जाने वाले संत्राकों में कोई कसर नहीं छोडी जाती है। छात्र संत्राकों के भरोसे पास होने के हथकंडे अपनाते रहते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप छात्रो को फेल होने का हर्जाना भुगतना पड़ता है। अजमेर जिले के विद्यालयों के हालात देखे जाये तो कई विद्यालयों की स्थिति ऐसी ही है, जिनमें अध्यापको द्वारा भेजे गये संत्राकों में मनमर्जी देखने को मिलेगी। ऐसे मामलों से स्वंय जिला शिक्षा अधिकारी भी अवगत है। कई अभिवावकों का कहना है कि बच्चा अगर पढाई में कमजोर है या समय पर स्कूल नहीं जाता है तो उसे विद्यालय प्रशासन द्वारा सूचना भी नहीं दी जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बे के राजकीय सीनियर सैकेण्डरी विद्यालय के कक्षा १० क ी २०१२ की परीक्षा में विद्यालय से कुल ४२ छात्रों परिणाम को देखा जाये तो ज्यादातर बच्चे गणित व विज्ञान में फै ल हुए हैं। छात्रों के सप्लीमेन्ट्री भी गणित में ही आयी है। इसके साथ ही करीब २६ लड़के गे्रस के सहारे गणित व विज्ञान विषय में पासिंग माक्र्स लेकर आये हैं। इसी प्रकार इसी विद्यालय के कक्षा १२ वीं के परिणामों में लेखा शास्त्र विषय की अध्यापिका की स्वंय की परीक्षा तैयारी में लगने से कोर्स अपूर्ण होने के कारण परीक्षा में बैठे कुल 18 छात्रों में से 6 छात्र लेखा शास्त्र, व्यवसाय अध्ययन व अनिवार्य अंग्रेजी में फै ल हुए, 8 छात्रों के लेखा शास्त्र में सप्लीमेन्ट्री आयी है अन्य 4 छात्रों ने सैकेण्ड स्थान बाई ग्रेस पास किया है। अब उन छात्रों को सप्लीमेन्ट्री परीक्षा की तैयारी के लिए किशनगढ प्राइवेट कोंचिग सेन्टरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। छात्र इन परेशानियों के लिए प्रधानाध्यापक प्रभाकर शर्मा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रभाकर शर्मा का कहना है कि विषायाध्यापकों द्वारा संत्राक भेजने में कोई गड़बड़ी नहीं कि जाती है। शाला प्रबन्ध समिति की मीटिंग के समय अभिवावकों को बुलाया जाता है, पर वे नहीं आते हैं। पढऩे में छात्रों द्वारा ही लापरवाही बरती जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप उन्हे फै ल होना पडता है। ग्राम पंचायत सरपंच भंवर गोपाल गौड़ का कहना है कि अध्यापकों की कमी के साथ साथ बच्चों की कमी भी पढ़ाई में देखने को मिलती है। अगर विषयाध्यापकों द्वारा संत्राकों में गड़बड़ी की जाती है तो इस मामले से उच्च अधिकारीयों क ो अवगत करवाकर जांच करवाई जायेगी।

error: Content is protected !!