न्यायपालिका और विधायिका में टकराव!

राजस्थान में न्यायपालिका और विधायिका में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पिछले दिनों विधानसभा की महिला और बाल विकास समिति की शिकायत पर विशेषाधिकार समिति ने जयपुर के महिला थाना पश्चिम की तत्कालीन थानाधिकारी रत्ना गुप्ता को विशेषाधिकार हनन का नोटिस देकर पेश होने के निर्देश दिए थे।

रत्ना गुप्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नोटिस जारी करने को चुनौती दी। इस पर दो सप्ताह पूर्व हाईकोर्ट ने विधानसभा के विशेषाधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया।

हाईकोर्ट के नोटिस की जानकारी विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत ने इस मुद्दे को गंभीर और विधानसभा की अवमानना माना है। अध्यक्ष ने इसे गंभीर मानते हुए आज इस मुद्दे पर दोपहर दो बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन सदन में शोरशराबा होने के कारण भाजपा सदस्य बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचे इस कारण अब कल फिर बैठक बुलाई गई है।

बैठक में सभी प्रमुख नेताओं से बातचीत करके तय किया जाएगा कि इस मामले पर क्या रुख अपनाया जाए, जिससे इसका हल निकाला जा सके।

जानकारी के मुताबिक विधानसभा की महिला कल्याण समिति ने जुलाई-2010 में महिला थाना पश्चिम का दौरा किया था और थाने में बंद अभियुक्तों की जानकारी सहित मुकदमों से संबंधित केस डायरी और रोजनामचा आदि दिखाने को कहा था। तत्कालीन थानाधिकारी और वर्तमान में आरपीए में तैनात सीआई रत्ना गुप्ता ने इनकार कर दिया था। महिला कल्याण समिति ने इसकी शिकायत विधानसभा अध्यक्ष से की थी। विधानसभा अध्यक्ष ने मामले को विशेषाधिकार समिति के सुपुर्द कर दिया था।

समिति ने इसे विशेषाधिकार हनन मानते हुए रत्ना गुप्ता को नोटिस जारी कर समिति के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए थे। गुप्ता ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी। इसमें कहा कि विधानसभा की समिति को थाने में निरीक्षण करने और केस डायरी तथा रोजनामचा आदि देखने का अधिकार ही नहीं है। मामला विशेषाधिकार हनन के तहत नहीं आता है क्योंकि जब विधानसभा की समिति को केस डायरी और रोजनामचा देखने का अधिकार ही नहीं है तो इनकार करने से समिति के किसी विशेषाधिकार का हनन ही नहीं हुआ है।

याचिका में रत्ना गुप्ता को जारी विशेषाधिकार नोटिस को निरस्त करने की गुहार की है।

गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2007 में भी बजट सत्र में विधायकों ने न्यायपालिका के खिलाफ विधानसभा में जमकर बोला था। इसके खिलाफ दायर एक याचिका पर हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिव सहित विधानसभा में बोलने वाले तत्कालीन विधायक माहिर आजाद और दुर्गाप्रसाद अग्रवाल सहित अन्य विधायकों को नोटिस जारी कर दिए थे। इस पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह ने हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब देने से इनकार करते हुए पूरे सदन के साथ एक सुर में कह दिया था कि हाईकोर्ट को सदन में कही गई बातों पर विधानसभा या किसी विधायक को नोटिस जारी करने का अधिकार ही नहीं है। बाद में यह मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश की मुलाकात के बाद किसी प्रकार से शांत हुआ था।

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