एक औरत की मांग पर अमल -आंख के बदले आंख

Devi N 2तवील  इंतज़ार  के  बाद वह दिन आया जब नसीम बानो को इन्साफ मिला. पांच  साल पहले एल दिन वह काम से घर लौट रही थी जब राहत अली नाम के  व्यक्ति ने तेज़ाब से भरी बाटली  उसके चहरे पर उंडेल दी.  नतीजा यह हुआ कि उसकी आँखों की रोशिनी जाती रही और वह बहुत बुरी तरह से झुलस कर रह  गई. नसीम बानो  लगातार राहत अली के हर शादी के प्रस्ताव को ठुकराती रही, और वे धमकियाँ भी नज़र-अंदाज़ करती रही जो  राहत अली उसे देता रहा कि वह उसे मार देगा अगर वह इसी तरह उसे  ‘ना’ करती रही.  राहत अली ने तय कर लिया था कि अगर वह उसे  हासिल नहीं हुई तो वह उसे इस काबिल नहीं छोड़ेगा कि कोई और उसे हासिल करने की तमन्ना भी कर पाए. और यह एक तरफ़ा  प्यार इस मुकाम पर पहुंचा कि ईरान की अदालत ने  राहत अली पर कुछ जुरमाना और उम्र-क़ैद की सजा घोषित की. पर नसीम चुप नहीं बैठी. उसने फिर से उस इन्साफ के लिए अपील  की जहाँ  ‘दाँत के लिए दाँत और आंख के लिए आंख’  पाने की सम्भावना बाकी थी, यह कहते हुए  कि सिर्फ़ इस तरह वह मेरा दर्द समझेगा.”  २००८ में उसने केस जीता जब रहत अली के वकीलों की हर  दरख़्वास्त मंजूर व नाकामयाब  हुई.

14 मई २०११ नसीम बानो  की ख्वाइश पर अमल हुआ. राहत अली को तेहरान की judiciary Hospital में ले जाया गया और वहां उसे बेहोशी की हालत में दोनों आँखों में एक एक करके कुछ बूँदें तेजाब की डाली गई जिसके एवज़ उसे अपनी आँखों से हाथ धोना पड़ा.  राहत अली की आंखें खो जाने से नसीम बानो को अपनी आंखें वापस तो नहीं मिली पर यह उसका अपना फैसला था और वह उस मुद्दे पर अटल रही. अनगिनत पूछे  सवालों के जवाब में उसने कहा ” इस तरह का कानून लागू करवाने का मतलब कोई बदला लेना नहीं होता, पर यह इसलिए ज़रूरी था कि कोई दूसरी औरत इस दौर से न गुजरने पाए.” गाँधी जी का कथन  आँख  के बदले आंख,  दुनिया को अँधा कर देगा.. एक तरह से यह वहशीपन भी लगता है और अमानवीयता का  एक दृष्टिकोण भी. पर इस किये गए इंसाफ के अमल की तहद  राहत अली के किये गए व्यहवार पर जैसे एक कील ठोक दी गई., जिसके अन्तरगत आदमी अपने क्रूर व्यहवार व् अमानुषता के आगे शिकस्ता महसूस करेगा.  आने वाले दिनों में औरत पर अपना दावा जताकर किसी भी प्रकार का अमानवीय व्यहवार उसे इंसाफ़  के कटघरे में लाकर खड़ा कर देगा जहाँ “दांत के एवज़ दांत, आंख के एवज़ आँख” के इस इन्साफ  की तहद औरत एक महफूज़ दायिरे  में ज़िन्दगी की राहों पर आगे बढ़ती जाएगी. (Independence Uk se निकलता पेपर 17 मई २०११ इस खलबली मचली खबर के साथ-उसी आधार पर)

-देवी नागरानी, ९-D कॉर्नर व्यू सोसाइटी, १५/ ३३ रोड, बांद्रा , मुंबई ४०००५० . फ़ोन: 9987938358

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