राज नहीं बदला, राज करने वाले बदल गए

अगर आप सोच रहे है की 15 अगस्त 1947 को हमने राज बदल दिया तो बहुत गलत सोच रहे है जरा विश्लेषण करेंगे तो हकीकत सामने आ जाएगी. अग्रेजो से हमें क्या परेशानी थी ये ही की वो हिंदुस्तान का माल लूट रहे थे हिन्दुस्तानी की अपने ही देश में कोई इज्जत नहीं थी इसलिए हमने उन्हें भगा दिया और आज क्या हालत है सोचिये जऱा.
आप को एक घटना बताते है जिस दिन देश आजाद हुआ लोग लाल किले के सामने अपने देश का झंडा देखने गए उसी समय अब अपने राज करने हिन्दुस्तानियो ने अपने हिन्दुस्तानियो पर लाठी चार्ज किया किया इनमे और अंग्रेजो में क्या फर्क वो भी मारते थे ये भी मारते है.
दूसरी बात जैसी हालत आज अन्ना की है की उन्होंने आन्दोलन तो तो शुरू किया पर अपने ही साथियो के हाथो मजबूर हो कर उनकी बात माननी पड़ी और आन्दोलन का मकसद भटक गया कुछ ऐसा ही महात्मा गाँधी के साथ हुआ था की वो अपने साथिओ की वजह से मजबूर हो गए और भारत विभाजन का प्रस्ताव मानना पड़ा नहीं तो क्या मजबूरी थी की जिस आज़ादी के लिए हमेशा बापू ने संघर्ष किया उन्होंने उसकी ख़ुशी नहीं बने और कलकत्ता जा कर उपवास किया.
जैसे अंग्रेजो के समय में था वैसा ही आज भी है प्रशासन और पुलिस के दरवाजे पहले भी बंद थे अब भी बंद है लिखा रहता है मिलने का समय दोपहर 3 से 5 क्योंकि साहब 3 बजे खाना खा कर आते है या फिर दरवाजा बंद है कोई अन्दर नहीं जा सकता साहब मीटिंग ले रहे है.
बातें बहुत सी है जिनका जि़क्र फिर कभी क्योंकि न लिखने वाले के पास समय है न पडऩे वाले के पास बस एक इशारा है चिंतन मनन के लिए.
क्या करे अपना देश है इसलिए कहना ही पड़ेगा
जय हिंद
मेरा भारत महान!!!

-ऐतेजाद अहमद

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