ये शहर देखो …

इन निगाहों से ये शहर देखो
हम पे बरपा फिर जो कहर देखो

बड़ी मुद्दत से खो सी गयी है
कोई इस रात की सेहर देखो

नहीं कोई किसी का यहाँ पे ‘मधुकर’
कैसे फिरती है यारों की नज़र देखो

खोकर खुश है और पाकर भी तनहा
ऐसा दीवानगी का हशर देखो

जहाँ कभी शिद्दत से चले हम तुम
आज वो वीरानी डगर देखो

सुर्खियाँ था जो कभी अखबारों की
आज नहीं कोई उनकी खबर देखो

इन निगाहों से ये शहर देखो
इन निगाहों से ये शहर देखो

-नरेश ‘मधुकर

1 thought on “ये शहर देखो …”

  1. Bahut khoob kahte ho Raghani ji.
    Good to see Ur peotic caliber.
    Aap ki hoslat afzai mai kisi ne kaha hai
    Ik na Ik shamma andhere mai jalaye rakhiye subah hone ko hai mahol banye rakhiye.
    Keep it up raghani ji.

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