वो क्या है कि चुनावी महाभारत शुरू होते ही एक जगह एक दल ने अपने नन्दू को रण में उतार दिया. जब इस बात की खबर विरोधी दल के नेता को लगी, जिसने कभी फिल्म शोले देखी हुई थी और जिसे आज भी वीरू उर्फ धर्मेन्द्र का डॉयलॉग याद था, जिसमे वह कहता है, तुम हमारा एक आदमी मारोगे तो हम तुम्हारें चार आदमी मारेंगे, इस बात को याद करके नेताजी ने एक एक करके दस नाम राशि नन्दू मैदान में उतार दिए और पार्टी कार्यालय में शेखी बघारते हुए अपने साथी को कहा, अरे साहू, देखना अब आयेगा मजा.
ऐसा और भी कई स्थानों पर हुआ है, जहां हमनाम के चक्कर में प्रत्याशी फंसे हुए हैं. इससे चुनाव में भले ही रोचकता आ गई हो, लेकिन थोथे निजी प्रचार और किसी तरह से आर्थिक फायदा उठाने की प्रवृत्ति को बढ़ावा भी मिला है. नाम भरने के बाद धीरे धीरे उम्मीदवारों के हल्का-भारी होने की चर्चा भी होने लगी. जब चर्चाओं में लोग कहने लगे कि वह पहले वाला नन्दू हैवी वेट यानि मजबूत उम्मीदवार है, उसके सामने दस नन्दू भी टिक नही पायेंगे तो बाकी के दस नन्दुओं मे से एक को ताव आ गया. उसने अपना फार्म भरते समय जमानत के पच्चीस हजार रुपए के सारे नोट जमा कराने की बजाय एक एक के पांच हजार सिके जमा कराये और ललकारा कि अब बताओ कौन मुझे हल्का उम्मीदवार कहता है ?
इसी दौरान जब दूसरे नन्दू को यह पता लगा कि हमारे में से ही किसी और नन्दू ने जमानत में पांच हजार के सिक्के जमा कराए हैं तो वह बारह हजार रुपए के सिक्के ले आया और चुनाव अधिकारी को चैलेंज करते हुए कहने लगा कि अब बताओ हैवी वेट मैं हूं या कोई और ? हालांकि वह सिक्कों में चवन्नी भी शामिल करना चाहता था लेकिन जब उसे बताया गया कि प्रचलन में चवन्नी बाई तो कभी की बिदा हो चुकी है तो वह ठिठक गया. उसका कहना था कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार से लेकर कई कई मंत्री और नेता चुनाव में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि चवन्नी का असर अभी बाकी है।
इधर चुनावी नाम भरने की कार्यवाही चल रही थी कि इसी बीच एक चुनावी रैली में शुरुआती नन्दू ने अपनी छाती ठोक कर ऐलान किया कि मेरी छाती 36 इंच की है, इसलिए मैं ही प्रधानमंत्री बनने लायक हूं. कहते हैं कि जब हरियाणा के पहलवान खली ने यह सुना तो वह बड़ा खुश हुआ क्योंकि कहते हैं कि खली की छाती तो 72 इंच की है। चुनावी माहौल को देखते हुए तरह तरह के सुझाव आ रहे हैं. कुछ लोगों का सुझाव है कि गाली प्रतियोगिता अलग से करवाली जाए क्योंकि होली के अवसर पर पहले ऐसे आयोजन होते रहे हंै।
-शिव शंकर गोयल