अपने बच्चों की सुरक्षा का नायाब तरीका अपनाइये

डॉ. जुगल किशोर गर्ग
डॉ. जुगल किशोर गर्ग

सब जानते हैं कि माता-पिता को अपने छोटे-छोटे बच्चों की सुरक्षा की बहुत चिंता होती है। उन्हें फिक्र लगी ही रहती है कि उनका बच्चा स्कूल या स्कूल के बाहर कैसा है। स्कूल से लौटने का समय होते ही हर माता की नजर दरवाजे पर होती है कि उसका बच्चा अब आया अब आया। यदि थोड़ी सी भी देर हो जाए तो उसे चिंता होने लगती है। इस समस्या से निजात पाने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है एक महिला ने। उसकी पहल पर बैंगलुरु में एक स्कूल ने बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चों को एक पास वर्ड देने को कहा है। इस पास वर्ड का उपयोग तब किया जायेगा, जब कोई अजनबी आदमी स्कूल में बच्चे को लेने के लिए आयगा और यह कह कर कि उसे बच्चे को लेने को भेजा गया है क्यों कि उनके घर मे इमरजेंसी हो गई है, इसीलिए वह वहां आया है। ऐसे समय में बच्चा उस आदमी से उसे अपने माता-पिता से दिया गया पास वार्ड बताने को कहेगा। अगर वह आदमी पास वर्ड नहीं बता पायेगा तो वह पकड़ा जाएगा।
बैंगलुरु के कुछ माता-पिता को इस के बारे में मालूम होने पर उन्होंने कहा की यह विचार 7 या उस से अधिक उम्र के बच्चों के लिए सही होगा, क्यों की बहुत छोटे बच्चे पास वर्ड को याद नहीं रख पाएंगे और वे अजनबी से पास वर्ड नहीं पूछ पाएंगे। हो सकता की अजनबी छोटे बच्चों को चॉकलेट आदि वस्तु देकर अपने साथ ले जाये।
इस बारे में किडनेपिंग और हत्या की घटनाओं की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी ने एक घटना बताते हुए कहा कि एक महिला ने स्कूल में टीचर से जाकर कहा की दूसरी क्लास की छात्रा को की दादी को गंभीर हृदयघात हो गया है, इसलिए वो उसे लेने आई है। यह कह कर वो बच्ची को लेकर चली गयी और उस बच्ची के माता-पिता से फिरोती मांगी और फिरोती न मिलने पर उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार की घटनाओं पर रोक के लिए नया तरीका कारगर हो सकता है।
वाकई यह तरीका बेहद उपयोगी है और स्कूलों के प्रबंधन को इस पर विचार करके इसे लागू करना चाहिए।
-डॉ. जे. के. गर्ग

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