नोबेल पुरस्कारों एवं सत्यार्थी के बारे में रोचक जानकारियां

डॉ. जुगल किशोर गर्ग
डॉ. जुगल किशोर गर्ग

स्वीडिश अल्फ्रेड नोबेल की स्म्रति में नोबल पुरस्कार की स्थापना 1895 मे हुई | सर्वप्रथम 1901 में भौतिक शास्त्र,रसायनशास्त्र, चिकित्सा/ फिजियोलॉजी, साहित्य एवं शांति के क्षेत्र में नोबेले पुरस्कार दिए गये, अर्थशास्त्र ( Ecnomics ) मे भी नोबेले पुरस्कार 1968 से दिए जाने शुरू हुए | अब तक कुल 862 पुरस्कार वितरित किये गये हैं जिनमें अमेरिका को 256, यूनाइटेड किंगडॉम को 93,जर्मनी को 80,फ्रांस को 52, स्वीडन को 28, रूस को 27, पोलैंड को 26, जापान को 21, इटली को 19, ऑस्ट्रिया को 17, कनाडा को 17, नीदरलैंड को 17, स्वीजरलैंड को 16, डेनमार्क को 12, नोर्वे को 12, ऑस्ट्रेलिया को 10 , चीन को 11,बेल्जियम को 9 , हंगरी को 9, स्कॉटलैंड को 9, दक्षिण अफ्रीका को 9 एवं भारत को 8 [ जिनमें 3 पुरस्कार भारतीय मूल के व्यक्तियों यथा:–हरगोबिन्द खुराना, सुब्रमयम चन्द्रशेखर एवं वेंकटरमण रामकृष्णन शामिल हैं, भारतीय नागरिको को 5 नोबेल पुरस्कार मिले हैं, वे हैं गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर, सी.वी रमण, मदर टेरेसा , अमर्त्य सेन और कैलाश सत्यार्थी ] पुरस्कार प्राप्त हुए हैं |

श्री कैलाश सत्यार्थी के बारे में कुछ जानी कुछ अनजानी जानकारीयां:
श्री केलाश सत्यार्थी जिन्होनें पाकिस्तान की सामाजिक कार्य कर्ता मलाला के साथ वर्ष 2014 का शांति के लिए नोबल पुरस्कार जीता के बारे में कुछ जानने योग्य तथ्य:——-
श्री केलाश सत्यार्थी का जन्म मध्यप्रदेश के नगर विदिशा में 1954 में हुआ था |
सुश्री मलाला एवं श्री सत्यार्थी के मध्य कई समानतायें हैं यथा:– दोनों ने ही बालकों (बच्चों )की सुरक्षा एवं हितों के लिये बहुत काम किया है | दोनोँ के उपर कई बार जान लेवा हमले हुए हैं |अभी हाल में ही मार्च 2011 में जब श्री सत्यार्थी ने दिल्ली की एक गारमेंट (वस्त्र ) फैक्ट्री पर बच्चों को छुड़ाने के लिये छापा मारा तब उन पर जान लेवा हमला हुआ था |
अपने बाल्यकाल में उन्होनें अपने खुद के शहर में जब बच्चोंको को मजदूरी करते देखा तो उनके दिल पर गहरी चोट पहुंची, बाल मजदूरी से वो बहुत व्यथित हुए और तभी से उन्होनें बाल मजदूरी के खिलाफ सघर्ष को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने का निश्चय कर लिया | युवा सत्यार्थी ने पुरे भारत से बाल –मजदूरी को खत्म करने को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु अच्छीखासी इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की नोकरी को भी छोड़ दिया |
छह वर्ष के बालक ने एक फुटबॉल क्लब बनाया, इस क्लब के सदस्यता फीस की राशि मे से वे उन गरीब बच्चों की स्कूल फीस का भुगतान करते थे जिनके पास स्कूल फीस के लिए पैसे नहीं होते थे |.
अपनी बाल्य अवस्था में उन्होंने अपने दोस्त की मदद से बुक-बैंक बनाया जिसमें उन्होंने 2000 पुस्तकें एकत्रित | कालान्तर में श्री सत्यार्थी का यह बुक बैंक मध्यप्रदेश प्रदेश के नगर विदिशा का नामी बुक बैंक बना |
अपने कुछ मित्रों के साथ श्री सत्यार्थी ने 1980 में “ बचपन बचाओ आन्दोलन “(B.B,A.) की स्थापना की |
श्री सत्यार्थी की संस्था ने दक्षिण एशिया के लोंगो की सहायतार्थ “South Asian Coalition on Child Servitude” प्रारम्भ किया जिसमें लगभग 750 स्वंयसेवी नागरिक संस्थाये शामिल हैं|
अभी तक बचपन बचाओ आन्दोलन की टीम ने 77328 बाल बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराकर उनको शिक्षित बनाया है और उनका पुनर्वास भी किया है |
श्री सत्यार्थी ने RTE (Right To Education—शिक्षा का अधिकार) के आन्दोलन के जरिये बच्चों की मुफ्त शिक्षा हेतु भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |

श्री सत्यार्थी को कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से भी सम्मानित कियागया है यथा:—–
Defenders of Democracy Award (2009-US),
Medal of the Italian Senate (2007-Italy),
Robert F Kennedy International Human Rights Award (USA)
Fredric Ebert International Human Rights Award (Germany).

श्री सत्यार्थी ने 1999 में एक साक्षात्कार मे कहा था कि किसी भी देश की सरकारों में बालक मजदूरी को खत्म करने की राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं है | उनका मुख्य तर्क था कि प्रतेयक बाल मजदूर एक युवक का रोजगार छीनता है, लगभग 6.5 करोड़ युवक बेरोजगार है |बेरोजगार युवकों की संख्या बाल मजदूरी से जुडी हुई है |
श्री सत्यार्थी के अनुसार बाल मजदूरी उन्मुलन के लिए हमको सभी बच्चोंको प्राथमिक कक्षा तक की शिक्षा अनिवार्य रूप से देनी होगी| बच्चों को अनिवार्य रूप से स्कूल भेजने से हम बच्चों को फैक्ट्रीज एवं अन्य जगहों पर बाल मजदूरी करने से रोक सकते हैं |
बाल मजदूरों द्वारा निर्मित उत्पादों के बहिष्कार हेतु श्री सत्यार्थी ने अन्तरराष्ट्रीय उपभोक्ता प्रतिरोध जागरूकता के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है |
श्री सत्यार्थी ने1994 में सामाजिक सजगता प्रोग्रामिंग “रग मार्क ( RUGMARG ) प्रारम्भ किया, इसके अन्तर्गत RUGMARG प्रमाणित गलीचे/कम्बल/आसन इस बात के प्रमाण है कि इनके उत्पादन में बाल मजदूरों ने काम नहीं किया है |
बच्चों के सशक्तिकरण हेतु श्री सत्यार्थी ने “ बाल मित्र ग्राम “ का गठन किया, जिसके तहत सभी को शिक्षा दी जाती है और बाल मजदूरी का पूर्ण रूप से उन्मूलन किया जाता है |
ग्राम बाल सभा से बच्चों में समुदाय के प्रति जागरुगता के साथ साथ प्रजातंत्र के प्रति भी जागरूगता का विकास होता है, इस कार्यक्रम को भी अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई |

अन्य अनजानी जानकारीयां :
मानवता के प्रतिरक्षकों की सूची में उनका नाम आर्चबिशप देसमोंड टूटू, एली वेस्सेल और दलाई लामा के साथ सम्मान के साथ लिया जाता है |
अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री बिल क्लिंटन ने भी उन्हें सम्मानित किया था |
अभिनेता रोबेर रेडफोर्ड द्वारा होस्टेड “The New Heroes” की 2005 की PBS अनुक्रम (series ) में भी उनका नाम है |
श्री सत्यार्थी को उनके द्वारा बाल मजदूरी से मुक्त किये गये बच्चों के लिये भोजन बनाने (पकाना) में आनन्द आता है |
पिछले दशक में उनका नोबल पुरस्कार के लिए कई बार नामाकंन हुआ है |
श्री सत्यार्थी गोर्डन ब्राउन, ग्रसा मिचेल, कोफ़ी आनन, क्वीन रनिया एवं अन्य कई विश्व नेताओं के साथ “ उच्च स्तीरय शिक्षा पैनल के सह संस्थापक एवं सदस्य भी है
2007 की अमेरिका के विदेश मंत्रालय की ”Trafficking in Persons Report “ में उनको आधुनिक –गुलामी प्रथा को खत्म करने वाले नायक के रूप मे बताया गया है |
डा. जे. के. गर्ग

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