पेंटावेंट से अब होगी शिशुओं की सुरक्षा

असमय काल के गाल में न समाये बच्चे
मध्यप्रदेश सरकार का एक ओर सराहनीय कदम
50-डा. एल. एन. वैष्णव– भोपाल/ कहते हैं कि किसी देश का भविष्य उसके नागरिकों के बच्चे होते हैं वह अगर स्वस्थ रहते हैं तो आने वाले समय में वह एक स्वस्थ नागरिक बन देश को मजबूत तथा उसको विकास की राह पर ले जाने में अपना योगदान देते हैं। भारत सरकार जहां इस दिशा में लगातार कार्य कर रही है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार भी लगातार इसके लिये मातृ एवं शिुशुओं के स्वास्थ्य से जुडी अनेक योजनाओं का संचालन कर रही है। नवजात शिशुओं को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के जीवाणुओं से सुरक्षा प्रदान करने तथा शिशुओं के शरीर में रोगप्रतिहर शक्ति का निर्माण करने के लिये एक विशेष प्रकार की वेक्सीन को लगाने की योजना का शुभारंभ आज से होने जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में बच्चों को होने वाली पांच प्रकार की बीमारियों को मात्र एक ही टीके के लगाने से निजात मिल सकेगी। पेंटावेंट वेक्सीन नामक टीके को लगाने से हेपाटाईट-बी,काली खांसी,डिप्थीरिया एवं टैटनेस जैसी बीमारियों को सिर्फ एक टीका के लगाने से सुरक्षा प्राप्त हो जायेगी। जानकारी के अनुसार प्रथम टीका बच्चे के जन्म के डेढ़ माह बाद, दूसरा ढाई माह बाद तथा तीसरा बच्चे के जन्म के साढ़े तीन महिने पश्चात् लगाया जायेगा।
शिशुओं के असमय काल के गाल में समाने को रोकने की योजना में उक्त महत्वपूर्ण योजना का शुभारंभ आज दोपहर 3 बजे राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करने जा रहे हैं। इसी क्रम में जहां एक ओर मुख्यमंत्री श्री चौहान उक्त विशेष अभियान की शुरूआत करेंगे तो दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग जिला मुख्यालयों पर कार्यशालाओं का आयोजन करने जा रहा है दोनो कार्यक्रमों को एक ही समय पर प्रारंभ किया जाने की खबर है।

विश्व के 20 प्रति. भारत में –
विदित हो कि भारत में निमोनिया,मस्तिष्क बुखार,कान बहने के लिये किसी प्रकार का टीका उपलब्ध नहीं था लेकिन जानकारों की माने तो पेंटावेंट एक महत्वूर्ण भूमिका उक्त बीमारियों से निपटने के लिये वरदान हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग तथा संबधित विभाग के आंकडों पर नजर डालें तो उनके अनुसार सम्पूर्ण विश्व में पांच साल से कम आयु के लगभग 3 लाख 70 हजार बच्चे एच इन्फएन्जी प्रकार बी हिब की चपेट में आ जाने के कारण असमय काल के गाल में समा जाते हैं। इनमें से 20 प्रतिशत की संख्या अकेले भारत देश के बच्चों की होती है। चिकित्सा क्षेत्र जुडे अधिकारियों के अनुसार उक्त बी हिब से प्रभावित जो बच्चे बच जाते हैं तो वह बहरेपन या मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त होने के कारण अपना जीवन ठीक से नहीं जी पाते हैं। बतलाया जाता है कि हिब टीके से निमोनिया के एक तिहाई केस एवं मेनिनजाइटिस बीमारी की 90 प्रतिशत रोकथाम संभव है।

यह रहेगा जारी-

डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

प्राप्त जानकारी के अनुसार जीरो डोज के रूप में संस्थागत प्रसव प्रश्चात जन्में सभी शिशुओं के जन्म के 24 बीसीजी, हिपेटाइटिस-बी के साथ पोयिा की खुराक दिया जाना जारी रहेगा । इसी तरह शिशुओं को 9 से 12 माह के प्रथम मीजल्स टीकाकरण के बाद बूस्टर खुराक 16 से 24 माह की उम्र में दी जाने वाी डीपीटी, पोलियो, मीजल्स दूसरी खुराक और 5 से 6 वर्ष की उम्र में दी जाने वाी डीपीटी की बूस्टर खुराक पूर्व की तरह जारी रहेगी।

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