सलीम की हुंकार से घबराई भाजपा

बौखलाहट में आकर दिल्ली की सड़कों पर दो केंद्रीय मंत्रियों ने बोले आपत्तिजनक जुमले

यदि किसी धर्म में पैदा होने के कारण किसी को अहंकार हो जाये और किसी को ख़ौफ़ज़दा कर दिया जाएगा तो इससे सदभावना की मूल भावना ही समाप्त हो जाएगी

देखना यह है कि सलीम की इन मांगों पर वह सरकार क्या जवाब देती है जिसके सांसद ही नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री भी सरकार के गठन के पहले दिन से लेकर आज तक नफरत की बोली बोल रहे हैं ! सरकार के गठन के दिन ही एक केंद्रीय मंत्री कहती है की मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं होते वही से जो सिलसिला भाषायी आतंकवाद का शुरू होता है तो वह आज यहाँ तक पहुँच जाता है  कि एक केंद्रीय राज्य मंत्री भरी जान-सभा में कहती है कि आपको तय करना है कि इस बार चुनाव में रामज़ादों को चुनना है या हरामजादों को “और इस तरह के धधकते हुए माहौल में सपा सांसद सलीम के इस जुर्रतमन्द जज़्बे की कद्र करना मिल्लत की  ही नहीं बल्कि तमाम धर्मनिरपेक्ष और समाजवादियों की ज़िम्मेदारी बन जाती है !

चौधरी मुनव्वर सलीम
चौधरी मुनव्वर सलीम

सपा सांसद चौधरी मुनव्वर सलीम ने दिनांक १.१२.१४ को संसद के अंदर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए और सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि एक लम्बे अरसे से हिन्दुस्तान के अलग-अलग हिस्सों से फ़िरक़ावाना जहनियत और नारों की गूंजों ने दहशत का माहौल बना दिया है ! सलीम ने कहा कि नफरत पसंदों द्वारा बनाये जा रहे यह हालात मुल्क की सेहत के लिए यक़ीनी तौर पर खतरनाक हैं ! इसे विडंबना कहें ,इसे कोइंसीडेंट कहे या फिर सपा सांसद चौ.मुनव्वर सलीम की वह दूरदर्शी नज़र जो उन्हें लोहिया के राजनैतिक उत्तराधिकारी मुलायम सिंह के राजनैतिक उपदेशों से प्राप्त हुयी है ! या यह कहा जाये कि भावी राजनैतिक हालात से मुल्क को हमेशा पूर्व में ही अवगत कराने के आदि मो.आज़म खान की सच्ची राजनैतिक शागिर्दी का असर कहा जाये ! कि जब सदन में सपा सांसद सलीम यह बोल रहे थे कि फिरकावाराना ज़हनियत के नारों के कारण मुल्क के जो हालात निर्मित हो रहे हैं वोह देश की सेहत के लिए ठीक नहीं है लगभग उसी समय ही देश की राजधानी में मोदी सरकार के दो केंद्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और गिरिराज सिंह दिल्ली के इलाक़ों में रैलियों को सम्बोधित कर नफरत का ऐसा माहौल बना रहे थे जो यकीँनन भारतीय संस्क्रती,संविधान और मर्यादा के विरुद्ध थे ! अगर साध्वी निरंजन ज्योति पश्चिमी दिल्ली के श्याम नगर में यह कह रही थी कि ” आपको तय करना है कि दिल्ली में सरकार रामज़ादों की बनेगी या हरामजादों की…..” तथा दूसरी ओर धीरपुर की एक रैली को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह मोदी की तुलना भगवान राम से कर रहे थे ! और सपा सांसद ठीक उसी समय संसद में धर्मनिरपेक्ष समतामूलक समाज के निर्माण के लिए यह बोल रहे थे कि हिन्दुस्तानी मुसलमान ने बापू के आश्वासन पर भरोसा किया था और सेक्युलर हिन्दुस्तान ही उसकी पसंद है ! तब सवाल यह पैदा होता है कि इनमें से किसकी मंशा देश जोड़ने की है और किस की भाषा शैली से देश का मान-सम्मान और संविधान खण्डित हो रहा है ! किसकी भाषा से देश की एकता,अखंडता और धर्मनिरपेक्षता को खतरा पैदा हो रहा है ! यह मुल्क के लिए चिंतन और मंथन का विषय है !
चूंकि सलीम ने मुल्क के निर्माण में मुसलमानों की भूमिका का ज़िक्र करते हुए कहा था कि जंग-ए-आज़ादी से लेकर तामीर-ए-हिन्द तक मुसलमानों ने जो तारीखी तआवुन किया है उसे कोई फरामोश नहीं कर सकता ! सलीम ने साध्वी निरंजन ज्योति और गिरिराज सिंह जैसे संवेधानिक पदो पर बैठे लोगों का नाम लिए बगैर ही कहा था कि कुछ शरपसंद,फिरकावाराना जहनियत से लबरेज़ लोग ऐसे नफरत अंगेज़ नारों का इस्तेमाल करते हैं जो संविधान की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता के विपरीत होते है !
संसद में सलीम ने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि अफसोसनाक बात तो यह है कि बहुत सारे मुक़ामात पर यह देखने में आता है कि खुद सरकारी ओहदों पर फ़ायज़ लोगों का आचरण भी साम्प्रदायिक होता है ! सलीम के द्वारा बोले गए इस जुमले का मतलब राजनैतिक समीक्षकों द्वारा यह निकाला जा रहा है कि सपा सांसद ने एक राजयपाल का बिना नाम लिए उन की ज़हनियत पर इसलिए सवालिया निशान लगाया है चूंकि इनही राजयपाल महोदय ने अपने प्रदेश के एक वरिष्ठ मंत्री को प्रेस वार्ता कर संवैधानिक मर्यादाओं में रहने की बात की थी और एक राज नेता के जन्म दिन तक पर चुटकी लेने से भी बाज़ नहीं आये थे ! सलीम ने जिस अंदाज़ से इन राज्यापाल महोदय का नाम और पद का ज़िक्र किये बगैर सदन के भीतर ज्वलंत सवालों के बीच उन्हें खड़ा किया है वह उनकी तार्किक बुद्धि को सलाम करने के लिए विवश कर देता है !
सलीम यहीं नहीं रुके ,सलीम ने उन अधिकारीयों की कार्यपद्धती पर धर्म सापेक्ष होने का सवालिया निशान लगाते हुए कहा जिन सरकारी अफसरान की मौजूदगी में खुल्लम-खुल्ला ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है जो क़ानून,संविधान और मर्यादा के विपरीत होती है ! इसका सबसे बड़ा उदहारण हाल के मुज़फ्फर नगर दंगों में तब दिखा जब एक बड़े पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री के खिलाफ ऐसे नफरतअंगेज़ नारे लगाये गए जिन्हें साहित्यक मर्यादाओं को मद्देनज़र रखते हुए हम अपनी कलम से लिख भी नहीं सकते !
सलीम ने मोदी सरकार को ललकारते हुए कहा कि मोदी सरकार देश को यह बताये कि ऐसे तत्वों के खिलाफ हिन्दुस्तान के किस हिस्से में और क्या कार्यवाही की गयी है ?
सलीम ने राज्यसभा को सम्बोधित करते हुए मोदी सरकार से कम्यूनल वायलेंस बिल को सदन के पटल पर लाकर उसे पास करने की मांग करते हुए कहा कि मान्यवर मैं सोचता हूँ कि अगर राज्य सरकारों की स्वायत्ता के संशोधन के साथ कम्यूनल वायलेंस बिल को पास कर दिया जाये तो संभवतः मज़हबी उन्माद भड़का कर मुल्क को कमज़ोर करने वाले इन तत्वों पर ज़रूर कंट्रोल किया जा सकता है !
सलीम ने देश के क़ानून और संविधान पर अपना मज़बूत विशवास व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के संविधान और क़ानून ने देश के अल्पसंख्यकों को संरक्षण देने का प्रावधान किया हुआ है लेकिन इसके बावजूद इस तरह के भाषायी नफरत के बीज बोन वालों के खिलाफ देश के किस हिस्से में क्या कार्यवाही हुयी यह मुल्क जानना चाहता है ! सपा के तेजस्वी लेकिन तथ्यों से लबरेज़ भाषण देने वाले सांसद सलीम ने सदन को सम्बोधित करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के बहुत सारे हिस्सों से नफरत की हवाएं चलाई जा रही है उन पर नियंत्रण किया जाना चाहिए यदि किसी धर्म में पैदा होने के कारण किसी को अहंकार हो जाये और किसी को ख़ौफ़ज़दा कर दिया जाएगा तो इससे सदभावना की मूल भावना ही समाप्त हो जाएगी और यह सोच देश की सेहत के लिए घातक सिद्ध होगी !
सलीम ने अपनी तेजस्वी वाणी को यही विराम नहीं दिया बल्कि उन्होंने आगे बड़ कर हाल ही में कुर्ला (मुम्बई) मेट्रोपोलेटिन मजिस्ट्रेट द्वारा ८ मुस्लिम नौजवानों को आतंक के आरोप से १३ वर्ष बाद बाइज़्ज़त बारी किये जाने पर भारत की न्याय व्यवस्था को सलाम करते हुए कहा कि मैं सदन के माध्यम से देश की मोदी सरकार से कहना चाहता हूँ कि हम इन नौजवानों को जीवन के १३ वर्ष तो वापिस नहीं दे सकते लेकिन हम इनको आर्थिक सहायता देकर उनकी आने वाली नस्लों मामूली मदद ज़रूर पहुंचा सकते हैं सलीम ने न सिर्फ इन बेक़सूर लोगों को आर्थिक मदद देने की मांग की बल्कि सलीम ने सरकारी अफसरों पर भी सख्त कार्यवाही की बात करते हुए कहा कि इस प्रकार के घिनौने इलज़ाम में इन बेक़सूर नौजवानों को गिरफ्तार करने वाले अधिकारीयों को समृद्ध और सदभावी भारत बनाये रखने के लिए यह ज़रूरी है कि इन्हें हमेशा-हमेशा के लिए नौकरी से बाहर निकाला जाये और इन अधिकारीयों पर आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाये !
अब देखना यह है कि सलीम की इन मांगों पर वह सरकार क्या जवाब देती है जिसके सांसद ही नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री भी सरकार के गठन के पहले दिन से लेकर आज तक नफरत की बोली बोल रहे हैं ! सरकार के गठन के दिन ही एक केंद्रीय मंत्री कहती है की मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं होते वही से जो सिलसिला भाषायी आतंकवाद का शुरू होता है तो वह आज यहाँ तक पहुँच जाता है कि एक केंद्रीय राज्य मंत्री भरी जान-सभा में कहती है कि आपको तय करना है कि इस बार चुनाव में रामज़ादों को चुनना है या हरामजादों को “और इस तरह के धधकते हुए माहौल में सपा सांसद सलीम के इस जुर्रतमन्द जज़्बे की कद्र करना मिल्लत की ही नहीं बल्कि तमाम धर्मनिरपेक्ष और संविधान पर विशवास रखने वाले लोगों की ज़िम्मेदारी बन जाती है !

M. Aamir Ansari
(Managing Editor)
+91-9013181979
[email protected]
Weekly Vidisha Dinkar
Choudhry House, Bada Bazar,
Vidisha M.P (India) 07592-235449, Fax:. No:. 011-23738333.

error: Content is protected !!