-कल्पना गुप्ता- मात्र दो साल पुराने, झालावाड़ जिले के बडबड गांव का जय मां वैष्णो देवी स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) ऐसे सदस्यों का एक मिलाजुला समूह है जो स्वयं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ साथ अन्य मुद्दों पर भी कार्य कर रहा है।
समूह के द्वारा 20 पए साप्ताहिक बचत जमा की जाती है। छोटी बचत ले लेकर सदस्यों को ऋण देने तक एसएचजी सदस्यों द्वारा की जाने वाली साप्ताहिक बैठकों के एजेंडा में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि मुद्दे भी शामिल है। समूह के 11 सदस्यों में एक बुजुर्ग महिला व दो धात्री महिलाएं भी शामिल हैं। बुजुर्ग महिलाओं को प्रशिक्षित करके आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ – साथ मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य मुद्दे जैसे प्रसव पूर्व व प्रसव पश्चात् देखभाल, संस्थागत प्रसव, टीकाकरण और पोषण मुद्दों पर और भी बेहतर तरीके से चर्चा की जा सकती है।
समूह की एक सदस्या फूला बाई के शादी के 10 वर्ष पश्चात् भी मां नहीं बनने की स्थति में सदस्यों द्वारा उसे झालावाड़ जाकर इलाज की राय दी गई। साथ ही छोटा सा ऋण भी प्रदान किया गया । समूह सदस्यों की राय के बाद फूला बाई के इलाज करवाने पर आज वह एक लड़के की मां है ।
हालांकि इस समूह के ज्यादातर सदस्य पहले से ही किसी न किसी अन्य समूह से भी जुड़े हैं फिर भी जय मां वैष्णो देवी उनके लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्यांेकि इसमें बहुत कम ब्याज दर है । 1.5 प्रतिशत मासिक ब्याज दर पर आंतरिक ऋण मिल जाता है जिसमें से 1 प्रतिशत समूह में जमा होता है तथा 0.5 प्रतिशत समूह के अन्य खर्चों के लिए अलग से जमा होता है ।
राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद (राजीविका) द्वारा गठित इस समूह ने स्वच्छता को प्राथमिकता से लिया है । पावर फाईनेंस कारपोरेशन, दिल्ली के सहयोग से ग्रामीण विकास ट्रस्ट द्वारा स्वच्छता हेतु गांव में 1000 घरेलू शौचालयों का निर्माण करवाया गया है । समूह अध्यक्ष गायत्री देवी ने बताया “शौचालयों के निर्माण के बावजूद भी पानी की कमी के कारण समुदाय सदस्यों द्वारा इनका उपयोग नहीं किया गया। समूह सदस्यों ने सर्वप्रथम बैठक में निर्णय लिया की सभी सदस्य घरेलू शौचालयों का उपयोग करेंगे व खुले शौच से मुक्त होंगे । इस पहल का सकारात्मक प्रभाव यह हुआ कि गांव की अन्य औरतें भी समूह सदस्यों से प्रभावित होकर शौचालयों का उपयोग करने लगी। समूह की कोषाध्यक्ष सुगन बाई के अनुसार “समूह हमारे लिए ऐसा मंच है जहां हम ऐसे मुद्दों पर चर्चा करते है जिन्हें घर पर इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि परिवार के सदस्य ऐसे मुद्दों को ज्यादा महत्व नहीं देते।
बैठक में सामाजिक मुद्दे जैसे गर्भवती व धात्री महिलाओं के स्वास्थ्य को इसलिए शामिल किया क्योंकि सदस्यों ने महसूस किया की गांव में ऐसे मुद्दों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है। बैठक में महिलाओं की स्वास्थ्य जांच, देख रेख व पोष्टिक आहार के साथ- साथ बाल विवाह की रोकथाम पर भी चर्चा की जाती है। समूह सदस्यों द्वारा सक्रिय रूप से बाल विवाह की रोकथाम हेतु समुदाय में समझाईश के दौरान कानून की जानकारी भी दी जाती है । दो वर्ष पश्चात् समूह से जुड़ने पर महिलाओं के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होने के साथ- साथ वह अब महिलाओं से संबंधित मुद्दों को उठाने, बैंक से लेनदेन करने व किसी भी बाहरी व्यक्ति से सामाजिक मुद्दों पर चर्चा कर सकती है।
इस तरह का प्रयास मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। वर्तमान में अंतरा फांउडेशन जिले में अक्षदा कार्यक्रम के तहत ऐसे प्रयासों की बेहतर क्रियांवनित हेतु कार्य कर रहा है।
लेखिका सीएफएआर, जयपुर संस्था से जुड़ी हैं