स्वनाम धन्य षिवराज की सत्ता के ये दस वर्ष
नेताओं में महाराजा विदेह जनक है यह शख्स
जन-जन के उन्नयन, उत्थान और उत्कर्ष के वर्ष
ये ही हैं जनता-जनार्दन को विषेष हर्ष के वर्ष
सिद्ध कर दिया कि जनता के विष्वास का नाम हैं षिवराज
सर्वक्षेत्रीय सर्वांगीण संतुलित विकास का नाम हैं षिवराज
व्यापक लोकमंगल को समर्पित राजनेता हैं षिवराज
जन सेवा ही ईष्वर आराधना को संकल्पित हैं षिवराज
कन्या संरक्षण नारी सषक्तिकरण का धाम हैं षिवराज
दीन-हीन की आत्मीय आस्था का नाम हैं ये षिवराज
मनसा-वाचा-कर्मणा राम-राज के प्रयासी हैं षिवराज
श्री गणेष के अनन्य भक्त राजनीति में सेवाभावी हैं षिवराज
परहित परोपकार परमार्थ को चिंतित रहते हैं षिवराज
स्वयं के लिए नहीं, सबके लिए चिंतित रहते हैं षिवराज
हमें परिजन से प्रिय वैसे ही सबके प्यारे हैं षिवराज
महत्वाकांक्षा विदिषा को सदैव विषेष वरदान रहें षिवराज
विनम्रता की मूरत सज्जनता की पराकाष्ठा हैं षिवराज
राजनीति में सदाषयता की प्रतिष्ठा हैं ये षिवराज
शत्रु कोई नहीं, विरोधियों में भी निष्ठा हैं षिवराज
जीवेत शरदः शतम सदैव सत्तासीन रहें षिवराज
शाष्वत जगदीष शर्मा
प्राचार्य
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