शालिनी सागर की सिंधी रचना का देवी नागरानी द्वारा हिंदी अनुवाद

Shalini Sagarमूल शालिनी सागर
कूंजड़ी
मुहिंजे घर जी सून्ह
मुहिंजी कूंजड़ी
मुहिंजे प्यार ऐं पाबोह सां
अजु नंढे माँ वडी थी सा अजु पाहिंजो घरु वसाइण लाइकु थी आहे माँ खुशी खुशीअ सां
संदीयस नएँ जीवन जे शुरूआत जा सपना डिठा
से सुपना अजु साकार थिया
काल्ह ताईं जा कूँज
मुहिंजे घर जी सून्ह हुई
सा अजु पहिंजे वलर खां विछड़ी वञी ब्ये वलर सां मिली
ऐं उन वलर जे झुंड में
ईंअ रिली मिली वई
जो मुहिंजूं आलियूं अख्यूँ
उन वलर में
पहिंजी कूंजड़ीअ खे गोल्हण लगियूँ
गोड़हन सां भरियल आलियुन अख्युन
मुहिंजी अख्युन ते धुंध जी चादर चाढ़े छडी
ऐं आहिस्ते आहिस्ते उन झुंड में
मुहिंजी कूंजड़ी वञो ब्ये वलर सां
रिली मिली वई
ऐं आहिस्ते आहिस्ते मुंहिजियुन अख्युन खां ऊझल थी वई

पता: Shalini Sagar- H-9 Akash Bharti, 24 J.P.Ed. Delhi-92 म: 9910149611

Devi N 1हिन्दी अनुवाद: देवी नागरानी
हंसिनी
मेरे घर की शोभा
मेरी हँसिनी
मेरे प्यार और दुलार की
छांव तले पली-बढ़ी
वही आज,
अपना घर बसाने लायक हुई।
मैंने
खु़शी .खुशी उसके
नए जीवन के आगाज़ के
सपने देखे
वही सपने आज साकार हुए।
कल तक जो हँसिनी
मेरे घर की शोभा थी
वही आज अपने खगवृन्द से
बिछुड़कर और झुण्ड से जा मिली,
रफ़्ता-रफ़्ता
उस नए खगवृन्द के झुण्ड में
यूँ घुल-मिल गई
कि मेरी नम आँखें उस वृन्द में
अपनी हँसिनी को ढूँढने लगी
मेरी हँसिनी……
उस नए खगवृन्द के झुण्ड में
यूं रच-बस गई
कि धीरे-धीरे
मेरी आँखों से ओझल होती गई…..।

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