उत्तराखंड में कांग्रेस की बल्ले बल्ले !

sohanpal singh
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लगता तो ऐसा है कि केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बना कर भारतीय जनता पार्टी को कुछ अधिक ही मद चढ़ गया है ! एक तो यह कि सम्राट अशोक और अकबर महान की भांति पुरे देश में एक छत्र राज्य स्थापित करने की अभिलाषा और दूसरे कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना या अवधारणा लेकिन विडंबना यह है कि हिंदी बैल्ट के अतिरिक्त बीजेपी की स्वीकार्यता में कमी है इस लिए छोटे छोटे राज्यों को डरा धमकाकर और लालच के द्वारा दलबदल के द्वारा दूसरे दलों की स्थापित सरकारो को गिराने का खेल राजनीती स्थिरता के नाम पर खेलने की घृणित चाल चल कर अपना बरचश्व स्थापित करना , जैसा अरुणाचल प्रदेश और अब उत्तरांचल में किया लेकिन उत्तरांचल में बीजेपी का दावँ उल्टा पड़ गया वहां मामला माननीय हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में जाने पर मुहँ की खानी पड़ी ?

अब न्यायलय के हस्तक्षेप के बाद मुहँ की खा चुके बीजेपी के कुछ बड़बोले नेता खिसियानी बिल्ली की भांति खम्बा नोच रहे है हैं ? एक पूर्व मंत्री रह चुके वर्तमान राज्य सभा के सदस्य श्री विजय गोयल कहते हैं की न्यायधीश proactive हो गए हैं दूसरे एक बड़े मंत्री श्री नितिन गडकरी तो उसके आगे ही निकल गए है वे कहते है ” ये न्यायधीश अगर सरकार चलाने की भूमिका में आना चाहते हैं तो इनको इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना चाहिए और फिर मंत्री बनकर सरकार चलानी चाहिए” यानि सीधी सीधी गुंडागर्दी की भाषा में धमकी यह शायद सत्ता का नशा सर चढ़ कर बोल रहा है ? देश के सौभाग्य के स्थान पर देश का दुर्भाग्य ही है कि पूर्ण बहुमत की सरकार रचनात्मक कार्यों के स्थान पर अपनी पार्टी की ताकत बढ़ाने का कार्य कर रही है ! जबकि न्यायलय में हजारो जजों की कमी के कारण लाखों वाद लंबित चल रहे है ? और सरकार है कि न्यायपालिका को ही खून के आंसू रुला रही है जो की देश के मुख्य न्यायधीश की आँखों से आंसू बन कर सार्वजानिक रूप में निकल चुके हैं ? आखिर ये बीजेपी नीत सरकार किस प्रकार का लोकतंत्र स्थापित करना चाहती है ?

अब अगर माननीय उच्चतम न्यायलय के हस्तक्षेप से देव भूमि उत्तराखंड में चुनी हुई सरकार पुनर्स्थापित हो चुकी है ? जिसमे केंद्र की सरकार द्वारा थोपा गया राष्ट्रपति शासन समाप्त हो चूका है ऐसे में क्या बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व अपनी गलती को सुधारने के लिए देश से माफ़ी मांगेगा ? या बेलगाम नेताओं मंत्रियों के बड़बोले बोल रोकने के के लिए उन पर लगाम लगाएगा फिर इनका विरोध और आलोचना करने वालों को देश द्रोही करार दिया जाता रहेगा ? क्या किसी पार्टी और व्यक्ति की आलोचना देश द्रोह होता है ? शायद नहीं ?

एस.पी.सिंह,मेरठ।

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