परी …( ममतामयी माँ )

एक  परी आएगी

जो तुझे सुलाएगी
लेगी आँचल में वो अपने
तुझे पलकों के पालने में
         झुलाएगी ||
झूठ मूठ करना आँखे बंद
और करवटे बदलना
वो थपकी देगी
तुम सोने का नाटक करना
जब
वो कान्हा करके बुलाए
तो .. जा  कर छिप जाना

वो घर भर में शोर मचाएगी
उसके सामने आते ही
तुम बुद्धू बन जाना
ऐसे ही वो तुझे लाड़ लड़ाएगी
इस ममता के आगे
तेरी कोई चालाकी काम
नहीं आएगी
तेरी इस अदा पर
वो रोम रोम से
पुलकित हो जाएगी
ज्यादा नहीं वो ,
पास बिठा तुझे
अपने ही हाथों से
फिर खाना खिलाएगी
हाँ …झाँकना उसकी आँखों में
एक प्यार का निश्छल
सागर पाओगे  ||

हो तेरे जीवन में
काँटों सी उलझने  ,
पतझड़ से रूखे में
पानी के लहरों
सी जिंदगी में
परिचय की टहनी पर
टूटे सन्दर्भों के
जुड़ आयें छोरों पर
मन के भरीपन में
ममतामयी के कान्हा
तुम हर वक्त उसे अपने ही करीब पायोगे
जब हो मन में
मकड़ी से जालो का उलझाव
तो देना उसे बस …एक हल्की सी आवाज़
वो कान्हा कान्हा कर
दौड़ी चली आएगी ……..कि

एक  परी आएगी
जो रख कर सर तेरा
अपनी गोद में
बड़े प्यार से …फिर से
जो तुझे सुलाएगी
लेगी आँचल में वो अपने
तुझे पलकों के पालने में
झुलाएगी ||
अंजु चौधरी, करनाल

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