आखिर मिल ही गया कालू, मिलता क्यों नहीं , एक बिगड़े नवाब जो नवाबी से बेदखल किये जा चुके थे उनके वफ़ादार लेब्राडोर को कौन चुरा सकता था , धरती आसमान एक करदिया जाता , शुक्र है लेब्रा की बिरयानी नहीं बनती नहीं तो कालू किस डब्बे में पैक होकर किस देश को निर्यात हो जाता पता ही नहीं चलता और अगर पता भी चलता तो फिर कोई अखलाख इस दुनिया से ही बिदा हो जाता ? चूँकि अखिलेश भैया की पुलिस इतनी चुस्त और चालक है की अपराध होते ही अपराधी तक पहुँच जाती है तभी तो कठेरिया की काठ की हांड़ी चढ़ती उससे पहले कालू लेब्रा जी बरामद हो गए ? अब यह मामला है तो गंभीर इसकी उच्चस्तरीय जाँच अवश्य ही होनी चाहिए । क्योंकि जबसे गौरक्षकों का तांडव बढ़ा है डर है कि लेब्रा को भी गऊ माता बछड़ा न बना दे ? क्योंकि गऊ रक्षकों के भेष में 80 प्रतिशत असामाजिक तत्व विराजमान है जिसकी चिंता अपने प्रधान सेवक जी जता चुके हैं ? अच्छा हो अगर सूबे के भैया जी इन 80 प्रतिशत गऊ माता के बबाली पुत्रों पर निगरानी रखने के लिए अलग से एक स्पेशल टास्कफोर्स का गठन करें ।ऐसा न हो कि कभी कोई केशवस्वामी नील गाय को गऊ माता न बना दे ?
एस पी सिंह, मेरठ।