सुपात्रता हेतु षपथ-पत्र

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
़मै षपथपूर्वक आवेदन देता हॅू कि मैने समाज के बिगडेल युवकों को एक छत के नीचे विदेषी वाईन का बहिष्कार कर स्वदेषी नारे के तहत देषी दारु पीने की व्यवस्था की है, इस लिए मै सर्वोच्च सम्मान का हकदार हॅू।मुझे सम्मानित किया जावे ?
मैं सहर्ष यह भी षपथपूर्वक लिखता हॅू कि मैं सार्वजनिक क्षेत्र में की गई हत्या के प्रकरण में बायईज्जत बरी हो गया हॅू , इस लिए मैं सम्मान का पात्र हॅू ।
मै यह भी ष्षपथपूर्वक लिखता हॅू कि अवैध घोषित चुनाव भी सर्वोच्चन्यायालय ने वैध घोषित कर दिया है अतएव मैं जल्द ही मंत्री पद की षपथ पुनः लेने वाला हॅू इस लिए मुझें सम्मानित किया जावे ।
मैं यह भी सहर्ष लिखता हॅू कि बालिग नाबालिग सभी के साथ बलात्कार के सभी पुराने मुकदमें मे मैं पहले ही जीत चूका हॅू एवं मेरे पौरुषत्व के कारण नये प्रकरण का कोई पर्दाफास नहीं कर पाया हैं ।
मैं यह भी ष्षपथपूर्वक लिखता हॅू कि मेरी तीसरी बहू की भी अचानक मौत होने से सभ्य समाज ने मुुझे संदेह के घेरे में ही नहीं लिया। अतःमैं सम्मान का पात्र हॅॅू ।
मैं यह भी षपथपूर्वक लिखता हॅू कि पड़ोसी की लम्बी चौड़ी जमीन हथियाने के दीवानी मुकदमें में भी विद्वान न्यायाधीष महोदय ने मेरे पक्ष में ही निर्णय दिया है , जिसकी नाले तरफ की कुछ भूमि मैं धर्मषाला हेतु दान दूॅगा।
मैं यह भी ष्षपथपूर्वक लिखता हॅू कि मेरे चुनावों के दौरान हुए दंगो एवं आगजनी के एतिहासिक क्षति के प्रकरण मेें मै निष्कलंक घोषित हो चुका हॅू ।
मेरा सारा जीवन आम जनता की नजरों में बुरे कर्म करने में बीता , किन्तु खास लोगों की नजरों में मैं पाक साफ हॅू साथ सभी तरह के माननीय न्यायालय से मैं बाय इज्जत बरी हो चुका हॅू एवं समाज में सबसे ज्यादा मुकदमे जीतने का श्रेय मुझे ही जाता है । अतएव मैं समाज का प्रतिष्ठित व्यक्ति हॅू । इस लिए मुझे समाज के सर्वोच्च सम्मानों से सम्मानित करें ताकि अपना समाज सम्माननित एवं गौरवान्वित हो ।
मैं यह भी कसम खा कर लिखता हॅू कि मुझे सम्मानित न करने पर सभी सम्मानों को अवैध ठहराते हुए मैं सम्मानितों को सर्वोच्च न्यायालय में चुनोतियॉ दूॅगा एवं सबको हराने के साथ ही मुकदमें जीतने का नया रिकार्ड कायम करुॅगा और समाज सिरोमणी बनॅूगा ।
मैं यह भी ष्षपथपूर्वक कहता हॅू कि मेरे समाज सिरोमणी बनने पर समाज के सभी कलंकित व्यक्तियों को मैं न्यायालय से न्याय दिलाऊॅगा चाहे जितने जुर्म हो मैं और मेरा समाज कभी दोषी घोषित नहीं होगा । मैं सम्मानित होने के बाद अपने समाज को हर तरह के न्यायालय के माध्यम से कलंक रहित समाज घोषित करुगा । इस सबका ठेका मेरा रहेगा । सम्मान देने के बाद मेरा समाज भी मेरे एवं मेरे परिवार की तरह निष्कलंक रहेगा ।

हेमंत कुमार उपाध्याय
व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार
साहित्य कुटीर, पं0 रामनारायण उपाध्याय वार्ड
09425086246/9424949839
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