राज कैसे करें

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
दोे -नेता आमने सामने की लड़ाई पर उतारु हो गए। जंग जीतने के लिए महाभारत की तरह भगवान कृष्ण के पास षक्ति लेने जाना संभव नहीं था । अतएव मंत्रीजी के पास पहॅुच गए। प्रातः11 बजे मंत्रीजी की नींद खुलते ही,उन्होंने पूछा – क्या चाहिए ? दोनों ने ही एक साथ कहा – जंग लड़ने के लिए हथियार । मंत्रीजी बोले -मेरे पास मुख्य हथियार पिस्तोल एवं बंदूक है । एक पिस्तोलें ले लो तो दूसरा बंदुके ले लें ? विपक्षी नेता बोला – मैं पहले आया,पहले मैं लॅूगा ? सत्ता पक्ष वाला नेता बोला – हमारा राज है ,पहले मैं लूॅगा । उसे मंत्रीजी ने चुप कर दिया । पहले विपक्षी नेता का हक है । विपक्षी को उन्होंने पिस्तोल के बारे में बताया । यह जेब में भी आ जाती है । छुपा कर कहीं भी ले जाई जा सकती है। ज्यादा भारी नहीं है। इसमें आठ गोलियॉ एक साथ भरी रहती है । जबकि बंदुक में दो गोलियॉ रहती है और काफी भारी होती है। बात पूरी सुने बिना ही विपक्षी नेता ने पिस्तौलें ले ली और मंत्रीजी को धन्यवाद देकर चल दिया मंत्रीजी ने उसे टाटा कर दिया ।
सत्ता पक्ष का नेता आग बबूला हो गया । घर के मंत्री होने के बाद भी आपने भाई भतीजावाद नहीं किया । मैने आपके चुनाव चिह्न पर मरे हुए लोगों के वोट डलवाए। जिन्दा विपक्षियों को इतनी पिलाई की घर से बाहर नहीं निकल पाए । मंत्रीजी ने सत्ता पक्षी नेता को ठंडा पिलाते हुए ठंडा कर समझाया । बेटा – मैने रिवाल्वर के गुण बताए और उसने रख ली । अब मैं तुम्हे बंदूक के मुख्य गुण बताता हॅू । कई दुष्मन देखकर ही भाग जाऐंगे । पिछले हिस्से से मारोगे तो हत्या के प्रयास की धारा नहीं लगेगी । आप इसे दूसरे के कंधे पर रख कर चलाना। विरोधी को दी गई रिवाल्वर का एक बड़ा अवगुण यह है कि उसके ऊपर फिंगर प्रिंट छपने के साथ ही उसकी गोली पीछे की ओर चलती है । अतएव विपक्ष जितने बार ट्रिगर दबाएगा उसका हर प्रयास आत्मघाती होगा। आखिर मैं आपके द्वारा बनाया गया आपका मंत्री हॅू । आपका हित सोचना मेरा परमकर्त्तव्य है। दो साल बाद मुझे पुनः आपके सहारे ही चुनाव जीतना है । जाओ पीछे चलने वाली बहुतसारी पिस्तोलें भवन के पीछे से साथ ले जाओ और विपक्षियों को भेंट कर दो। आप राजनीति कर जनता में घर बैठे राज करो मैं सरकारी भवन में राज करता हॅू । रनिवास में कुछ रानियॉ मेरी प्रतीक्षा कर रही हैं । ठेकेदार देषी ष्षराब के पाऊच के बक्से भेंट कर गया है । दो चार बक्से रख लो रास्ते में तुम्हारे काम आऐंगे और बाकी पहॅुचने पर मेरे ष्षुभचिंतकों को बॉट देना। पी0ए0 साहब से दो चार हिन्दी सहायिका भी ले लो। पढ़े लिखे नौकरी वालों में बाट देना । सहायिकाओं को तो मैं ही सम्हाल लॅूगा हुजूर । मंत्रीजी बोले- अरे हिन्दी सहायिका कोई भोगने की चीज नहीं वरन भाषा विभाग की सहायक बोलियों पर प्रकाषित पुस्तिका है । तुम फिल्मी गाने पर थरकने वाले उसे इंजाय नही कर सकोगे वरन बोर हो जाओगे । उसका तुम क्या करोगे। आप तो मेरे लिए रिर्जव ए0सी0कूपे में आनन्द के साथ सफर करों मैं कल मुख्य मंत्रीजी केे साथ हेलीकॉप्टर का आनन्द लेते हुए आऊॅगा ।

(हेमंत कुमार उपाध्याय)9425086246, 9424949839

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व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार,ललित निबंधकार,
गणगौर साधना केन्द्र,साहित्य कुटीर, पं0रामनारायणजी उपाध्याय वार्ड
खण्डवा म0प्र0

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