*मैंने बाजार के फुटपाथ पर सजी भगवान् गणेश जी की मूर्तियो को देखा है ।*
*उसी बाजार में गणेश जी का मोलभाव करते भक्तो और दुकानदारो को देखा है ।*
*मैंने गली , मोहल्लों और चौराहो पर बड़े बड़े पांडालों में सज धजकर विराजित हो चुके सिद्धि विनायक को देखा है ।*
*गणेश महोत्सव मनाने के नाम पर लोगो से चन्दा वसूली करते युवको को देखा है ।*
*मैंने उन पांडालों में गणेश जी को छप्पन भोग लगाकर रिझाते भक्तो को भी देखा है ।*
*रात में भजन कीर्तन करती महिलाओ और नाचते युवाओ को देखा है ।*
*11 दिनों तक महोत्सव मनाने के बाद उनके विसर्जन के लिए होने वाली तैयारियों को देखा है ।*
*अनंत चतुर्दशी के दिन आस्था के चरम पर पहुचे भक्तो को डी जे की धुनों पर बेतहाशा नाचते हुए देखा है ।*
*जुलुस के साथ चलने वाले मनचलो को राह चलती युवतियों पर जबरन गुलाल उड़ाते भी देखा है ।*
*विसर्जन के दौरान छोटे से कुण्ड में हजारो प्रतिमाओ का मेला देखा है ।*
*हां मैंने अपने गणेश जी का सबसे अच्छा विसर्जन करने की होड़ में अन्य गणेश प्रतिमाओ की बेकद्री करते देखा है ।*
*मैंने मूर्तियो पर ही खड़े होकर उन्हें पैरो से पानी में दबाते हुए युवाओ को भी देखा है ।*
*जी हाँ मैंने विसर्जन के बाद भगवान् गणेश जी की प्रतिमाओ की उनके भक्तो द्वारा ही बेकद्री करते हुए देखा है ।*
*मैंने आज फिर आस्था की होड़ में अंधे होकर अपनों के द्वारा ही अपने देवताओ का अपमान होते देखा है ।*
*जिन गणपति जी को रोजाना भोग लगाया जाता था उन्हें ही नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा जेसीबी से उठाकर ट्रेक्टर में भरते हुए देखा है ।*
*हां मेरे दोस्तों मैंने आज एक बार फिर दुःखी मन से गणेश विसर्जन होते देखा है ।*
दोस्तों आखिर यह कैसी परम्परा शुरू कर दी गई है जिसमे हम स्वयं ही अपने सबसे प्रथम पूजे जाने वाले भगवान् गणेश जी का अनजाने में ही सही हर साल घोर अनादर कर रहे है । यह कैसी आस्था है जो दस दिनों तक तो खूब उमड़ती है और फिर 11वें दिन उन्ही आराध्य देव को बेकद्री के लिए हम छोड़ आते है ।
हो सकता है आप मेरे विचारो से सहमत ना हो लेकिन सच्चाई तो यही है की आज के बाद विसर्जित की जा चुकी सभी प्रतिमाओ की बेकद्री ही होगी और इसे झुठलाया नहीं जा सकता । हो सके तो इसको बढ़ावा देने की बजाय कोई दुसरा उपाय ढूंढें और दस दिनों की बजाय पूरे साल भर ही अपने गणेश जी को रिझाने और पूजने की कोशिश करे ।
*अगले साल से एक नई शुरुआत करे••••*
*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ़ नेशन*
*मो 982817060••*