अनुकम्पा नियुक्ति

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
लक्ष्मीजी के मंदिर के सामने एक बुढ़ा भीखारी बैठता था। उसकी जर्जर हालत देखकर सभी उसकी भरपूर मदद करते थे । अपनी उम्र पूरी कर एक दिन वह देव लोक गमन कर गया।
15 दिन बाद उसके स्थान पर एक हट्टा-कट्टा नवजवन बैठ गया। कुछ लोगो ने आपत्ति उठाई ? दूसरे भीखारियों ने भी आपत्ती उठाई क्योंकि उनकी कमाई पर भी असर पड़ने लगा। तुम्हे क्या मॉगनें की जरुरत तुम तो कमाकर खा सकते हो मेहनत मजदूरी कर सकते हो ?
उसने कहा -अभी तक तो ये कार्य नहीं किए अब कैसे करु। जब तक पिताजी जीवित थे और यहॉ बैठते थे तब तक मुझे कभी काम पर जाने की जरुरत नहीं लगी। अब वो नहीं रहे तो मैं मजबूर होकर यहॉ बैठा हूॅ वरना घर बैठे खा रहा था।
एक सज्जन ने कहा- तुम्हे यह कार्य ष्षोभा नहीं देता ! तुम पढ़े लिखे भी हो। तुम्हे यहॉ भीख मॉगने नहीं बैठना चाहिए।
वह वक्त जरुरत राजनेताओं की रैलियों में भी अच्छा पारिश्रमिक व खाने ठहरने की व्यवस्था होने पर चला जाता था। सो उसने तर्क दिया सांसद के मरने पर उसका बेटा सांसद ,विधायक का बेटा विधायक व मंत्री का बेटा मंत्री बन सकता है ? आश्रम के गुरुओं के उत्तराधिकारी उनके बेटे -बेटी ही होते है तोे मैं अपने पिता की जगह बैठकर अपना जीवन व्यापन क्यों नहीं कर सकता । आप भी तो अपने पिता की जगह अनुकम्पा नियुक्ति पर लगे हो और उसने कहने वालों की बोलती बंद कर दी ।
हेमंत उपाध्याय 09425086246 /9424949839 साहित्य कुटीर , पं0रामनारायणजी उपाध्याय वार्ड [email protected] FB [email protected]

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