तेरी यादों के शहर मे …

आकर रूक गये है कदम तेरी यादों के शहर मे,
बड़े बेबस खड़े है हम तेरी यादों के शहर में .

हर सड़क घूम कर तेरी ओर ले आई मुझको
शायद रास्ते थे खतम तेरी यादों के शहर में

लोग लूट रहे थे बेखौफ़ होकर कारवाँ मेरा,
तमाशबीन बने हम तेरी यादों के शहर में

ये बेरूख़ी भी रही बेअसर तुझ पे ,
कोई और था सनम तेरी यादों के शहर में

आवारगी ना होती आज हम साया मेरी ,
तू जो होता हम कदम तेरी यादों के शहर में

बड़ी सोच में पड़ गयी है ज़िंदगी भी आज
कैसे ज़िंदा रहेंगे हम तेरी यादों के शहर में

होता जो गुमान तेरी बेवफाई का
न होते रुसवा हम तेरी यादों के शहर में .

नरेश ” मधुकर ”

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