आगामी आम चुनावों में भाजपा की करारी हार तय

Mahendra Kumar
Mahendra Kumar
जयपुर। आमजनता की ताजा रायशुमारी से निकल कर आये इमानदार जबान के धनी भारतीय नागरिकों के दु:खी उदगार । आमचुनाव में हारे हुए मौकापरश्त को देश का वित्तमंत्री बना देना ही इस देश की जनता के लिए घातक साबित होता जा रहा है । सरकारी नौकरशाही की नाकामी को छिपाने के लिए देश में चलती हुई करेन्सी को बन्द कर देना हिटलरशाही से ज्यादा कुछ नहीं है । उल्टा चौर कौतवाल को डाट रहा है । हमने ही वोट देकर राजा बनाया अब हमें ही चोर बना रहा है जीवन भर की गाढी कमाई को दो नम्बर का काला धन बता रहा है । हिम्मत थी तो विदेशों में जमा काला धन लाता अफसरों पर कार्यवाही करता नेताओं के कालेधन पर छापे डालता । यह सब तो हुआ नहीं चला है आम जनता को परेशान करने । आने दो मौका फिर बता देगें हम भी अब ले लेना वोट । सब तरफ चुनाव हारता जा रहा है । अब यूपी चुनाव जीताने के लिए यह दांव लगा रहा है जनता को बेवकूफ बना रहा है । आज चुनाव करा लो पूरे देश से ही भाजपा ऐसे गायब हो जायेगी जैसे गधे के सिर से सिंग । मोदी सरकार के अचानक नोटबन्दी के तुगलकी फरमान ने देश के इमानदार नागरिक को झकझोर कर रख दिया है । कशमशा रहा है तिलमिला रहा है मन ही मन सोच रहा है कि मेरे जीवन भर की मेहनत की कमाई को एक झटके में ही इस मौकापरश्त ने कालाधन बना दिया । जरा भी नहीं सोचा उस गरीब की गाढी कमाई के बारे में जिसने अपना पेट काट काट कर कुछ धन जीवन यापन के लिए घर में ही बडे नोटों के रूप में जमा कर लिया। करता भी क्यों नहीं उसे बैंक खाता खोलना आता नहीं, खाता खुलवा भी ले तो उसे ओपरेट करना नहीं आता है, किसी ओर की मदद से आपरेट भी करवा ले तो खाता तो दिन में ही ओपरेट हो सकता है । जबान के धनी उस मेहनतकश भारतीय नागरिक को रात बरात किसी अनहोनीवश रूपयों की जरूरत पड गई तो वह क्या करेगा तब न कोई एटीएम काम आयेगा न ही बैंक । इसलिए दस पांच लाख रूपये तो हरवक्त् घर में ही रखना पंसद करता है । आज यदि वही मेहनतकश भारतीय नागरिक उस दस पांच लाख रूपये को बैंक में जमा कराना चाहता है तो उससे कई सवाल जवाब किए जा रहे है उसे कर चोर की नजर से देखा जा रहा है । सह पायेगा वह जबान का धनी भारतीय नागरिक इस अपमान को ? इस अपमान के बाद उसके दिल में भाजपा या मोदी के प्रति बचेगी कुछ इज्जत ? जब खुद मोदी ही उस इमानदार भारतीय नागरिक को अपमानित करना चाह रहा है तो जनता क्यों उसे सम्मान देने लगेगी ।
नकली नोटों का प्रचलन यदि ज्यादा हो भी रहा है तो इसमें आम जनता का क्या दोष है उसे इसकी सजा देने का हक सरकार को किसने दिया । सरकारी तंत्र क्या कर रहा है मोटी मोटी तनख्वाह लेकर भी क्या कर रही है आपकी इंटेलीजंन्सी ? किसी एक अंग में फोडा जो जाये तो उसका यह तो मतलब नहीं की उस पूरे अंग को ही काट कर अलग कर दो शरीर से ।

Journalist Mahendra Kumar Sharma

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