क़लम उठ जाती है

नटवर विद्यार्थी
नटवर विद्यार्थी
बात-बात पर समझौतों से ,
जीवन लगता भारी ।
अंतर्मन झकझोर रहा है ,
क्यों ऐसी लाचारी ?
भाग रहा है कर्त्तव्यों से ,
शायद लोग कहेंगे ।
मेरे मन की पीड़ा को भी ,
सदा अन्यथा लेंगे ।
मन की बात समझने वाले ,
मुश्किल से मिल पाते ।
इसीलिए लिखकर रख देता ,
अपने मन की बातें ।
-नटवर विद्यार्थी

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