मेरा देश बदल रहा है, काले को गुलाबी कर रहा है

15644800_10210411642039332_1452872951_nअब जबकि ४२ दिन होने आ चुके है प्रधानमन्त्री की नोटबंदी की घोषणा को.. अब समय आ चुका है कि इस विषय में कुछ तर्क वितर्क किया जाये। सबसे पहले तो बड़े बड़े विज्ञापन जो मैं हर हाईवे के पेट्रोल पंप पर देख के आया था वो झूठे प्रतीत होते है.. ३० दिसम्बर तक आपका पैसा सुरक्षित है.. गोया कि पैसा लूटने से पहले की मोहलत हो.. उस पर प्रतिदिन नए फरमान इस तरह प्रतीत हुए कि तुग़लकी फरमान हो । जिस प्रकार से सारे घटनाक्रम को प्रचारित किया गया वो इस तरह कि हम आतंकवाद, काला धन और भ्रष्टाचार को ख़त्म करने के लिए एक बहुत क्रांतिकारी कदम उठा रहे है तो एक बार तो खून भी ख़ौला कि हां जरूर कुछ विस्मय कदम साबित होगा.. ! देश हित में और राष्ट्रहित में पहली बार कुछ करने को जी चाहा । सारे नियम क़ानून जो भी हर रोज़ जारी हुए उनमे पूरी निष्ठां और भावना से योगदान किया। और फिर एक दिन पता चलता है कि साहब के चहेते और नाचहेते सभी लोग बड़ी सफाई और साफगोई से अपना काला धन गुलाबी कर लेते है और साहब बोल नहीं पाते। ५६ इंच वाले साहब कहते है मुझे बोलने नहीं दिया जाता, इसलिए बाहर आप लोगो में आके बोलता हूँ.. क्यों साहब पूरी सभा में लोग तो आपके ज्यादा है ना.. क्यों नहीं बोल पाते ? दोस्त, मित्र और सहयोगी बड़ी आसानी से गुलाबी होते गए और आम लोग भीड़ में दिन प्रतिदिन एक गुलाबी नोट के लिए खड़े रहे.. ना तो आज तक १००% एटीएम कैलिब्रेट हो पाए ऊपर से बैंक मैनेजर्स आसानी से गुलाबी धन करते पाए.. और जब साहब असफल होने लगे तो मजबूत प्रचार तंत्र ने व्हाट्सएप्प और फेसबुक पर ठीकरा फोड़ना चालू किया तथकथित भ्रष्ट बैंक मैनेजर्स पर.. वो तो मंगल से आये है.. वो सिस्टम का हिस्सा तो नहीं लगते आपके अनुसार.. ।

Bhupendra Singh
Bhupendra Singh
सत्य तो यह है कि कुछ प्रिय लोग आसानी से घर बैठे बरसो के काले को गुलाबी कर गए और पब्लिक तो चुहिया है और रही है सदा से.. उसे फिर से कोई घुट्टी पिला के काबू कर लेंगे । जन धन तो मात्र एक बहाना था इस स्कीम का एक अदना सा हिस्सा.. । साहब फिर भी जितना यत्न कर ले ये ‘काला धन गुलाबी करो’ योजना एक नाकाम कोशिश साबित हुयी है अब तक.. । रही बात भ्रष्टाचार, आतंकवाद और गरीबी की तो वो तो आप कभी खत्म करना ही नहीं चाहते । बल्क में वोट तो वही से आते है.. ।

अगर वाकई में साहब कुछ करना चाहते हो तो देश में शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और गरीबी जैसी मूलभूत समस्याओं पर गौर करो.. आतंकवाद, नक्सलवाद और भ्रष्टाचार तो वही खत्म हो जाएंगे जब काबिल लोग अफसर बनेंगे, नाकि गधे चूरमा खाएंगे।।

Bhupendra Singh

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