सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल हजरत बाबा गुलाब शाह का मजार

नौगॉव (छतरपुर)-पूरे हिन्दुस्तान के कोने कोने से हिन्दु-मुस्लिम एकता व सम्प्रदाय सद्‌भाव की मिसाल बन चुकी बाबा  गुलाबशाह की मजार पर हर बर्ष की भॉति इस बर्ष भी सालाना उर्स का जद्गन बड़े धूम धाम से द्गाानदार तरीके से ८ अक्टूवर को ही मनाया जाता है । इस आयोजन में बडी संखया में बिभिन्न सम्प्रदायों धर्मो व जातिओं के लोग बढ  चढ कर हिस्सा लेते है । बाबा साहब मुस्लिम कौम में पैदा जरूर हुए लेकिन उन्होंने भगवान श्री कृष्ण व उनकी लीलाओ के महत्व   को समझा  व हिन्दू धर्म  को भी  अपने  जीवन में  अपना   कर  एकता क़ि  मिशाल कायम कर यह कर दिखाया  क़ि सबका मालिक एक है.  इसी कारण  वह मानव से महापुरुष माँ गये थे.  वह एक समरसता के प्रतीक व समाज सुधारक भी थे. आप आदमी क़ि समस्याओ को वह ईश्वरी शक्ति के माध्यम से हल कर देते थे. बाबा गुलाब शाह बुन्देल खंड क़ि हस्तियों में गिने जाते है. आज भी उनकी रूह माजर पर कार्य कर रही है. जिससे आम लोगो में नुके प्रति विश्वास व श्रद्धा कायम है.   

इस मौके पर बाबा के दरवार में २४ घंटे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित होते है , ८ अक्टूवर को सुबह से ही  भक्ति भावना के साथ भक्त लोग अपनी फरियाद लेकर मन माफिक मुरादो की पूर्ति केलिए मन्नते मॉगते है तथा बाबा की मजार पर सिर झुका कर अपनी फरियाद करते है जो बाबा साहब उनकी मुरादें को पूरा करते है ।
दोपहर के १२ बजे सामूहिक भण्डारा का आयोजन होता है जिसमें नगर नौगॉव सहित आप पास के बच्चें बूढे महिलायें प्रसाद ग्रहण करती है , नगर के किराना व्यपारी श्री हीरा लाल साहू उनकी मॉ दुर्गा बाई अपने पूरे परिवार के साथ दोपहर ४ बजे से  अपने निवास से गाना बजाना के साथ चादर सन्‌ १९८४ से बाबा साहब की मजार पर चढाते आ रहे है ।
उन्होने बताया कि जो मुराद हम लेकर बाबा साहब की मजार पर गये थें वह  मन्नत पूरी होने पर आस्था बढ  गई और उनकी मजार पर  धर्म के रूप में यह धार्मिक आयोजन कराते है । ।
इस मजार पर रात्रि के समय बुन्देलखण्ड क्षेत्र के जाने माने कब्बाल गायक कब्बालियों का कार्यक्रम देते है वहंी हिन्दू धर्म के लोग भगवती जागरण कर गीत संगीत व भजनों से बाबा की आत्मा को प्रद्गान्न करने का प्रयास करते है ।
इस स्थान पर अब प्रत्येक गुरूवार व शुक्रवार के दिन मेले जैसे आयोजन होता है । इस स्थान की विशेषता है कि यहां सभी जाति व धर्म के लोग एकत्रित होकर मत्था टेकते है।                                                                     ~संतोष गंगेले
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