रे पक्षी क्या हुआ, पिंजरे में तू क्यों आया
ऐसा भी क्या लालच आया, जो तुझे पिंजरे में लाया।
देख दाना हाथो में, जिन्हें तू समझता दोस्त है
नहीं छोड़ते ये अपनों को, ऐसी तो इनकी सोच है।
मतलब देख ये अपना, हर समय मुस्कुराएंगे
छोटी सी एक बात पर, फिर तुझे ही काट खाएंगे।
है धड़कता दिल इनका, होने को इनमे भी जान है
मत भूल इस बात को, अरे ये तो इंसान है।
अपनी देख खुशी ये, पिंजरे में तुझे बैठाएंगे
नही परवाह इन्हें तेरी, मनोरंजन अपना चाहेंगे।
उड़ जा रे पक्षी, नही पता इन्हें तुझमे भी जान है
अरे ये तो इंसान है, अरे ये तो इंसान है।
-Er. Abhimanyu Jain