रिश्ता है दर्द से पुराना ‘मधुकर’
हो सके तो ज़रा और तड़पाओ मुझको
गुनाहे मोहब्बत की आखिर क्या कीमत है
हो सके तो कोई बताओ मुझको
जाने किस घडी आये थे तेरे घर की डगर
अब तो कोई बस यहाँ से ले जाओ मुझको
वो शोख नज़र वो मदमस्त जुल्फें और आँखें नाम
है कोई और उस सा तो ज़रा दिखाओ मुझको
सिखाया है बहुत राहे जिंदगी ने कुछ ऐसा
करो करम अब तो अपना बनाओ मुझको
कैसे हँसते है बेवफाई से अंजान होकर
हो सके तो ये भी कोई सिखाओ मुझको
© 2012 नरेश’मधुकर’