देखना आसमान बदलेगा.
हाथ गीता पे अपने रख कर तू,
बोल कितने बयान बदलेगा.
गुमशुदा हो गया है आज कहाँ,
कह रहा था जहान बदलेगा.
जुगनुओं की मदद से सूरज का,
क्या भला ख़ानदान बदलेगा.
कितनी जद्दो जहद के बाद भी वो,
एक नन्हीं सी जान बदलेगा.
तीर वो ही ना चूकने वाले,
हर दफ़ा बस कमान बदलेगा.
क़ैद पिंजरे में ख़ुद भी रह के वो,
पंछियों कि ज़ुबान बदलेगा.
अपने चेहरे महज़ बदलने को,
और कितने मकान बदलेगा.
सुरेन्द्र चतुर्वेदी