निष्ठा और कांग्रेस

वर्ष 1969 के नवम्बर में इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था; इंदिरा गांधी एक प्रतिद्वंद्वी संगठन की स्थापना की – इंडियन नेशनल कांग्रेस; उस वक़्त इंदिरा गांधी के साथ खड़े दिखने वालो में थे बूटा सिंह, अंतुले, राम निवास मिर्धा, एपी सिंह, बी.पी. मौर्य, प्रणव मुखर्जी, आदि.  इस के बाद के इंदिरा गाँधी के दौर में उनके विश्वासपात्र सलाहकारों में नाम आता था जी.पार्थसारथि, पी.एन. धर, राम निवास मिर्धा.

वर्ष 2000 के नवम्बर में सोनिया गांधी को अभूतपूर्व राजनीतिक चुनौती का सामना करना पढ रहा था;  आज के तरह उस युग में वह कांग्रेस की निर्विवाद नेता नहीं थी; कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव का दौर था और सोनिया गाँधी के सामने थे जितेंद्र प्रसाद जो राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश आते थे, वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के एक विश्वासपात्र थे;  सोनिया गांधी और कांग्रेस ने इस राजनीतिक चुनौती को पार करने के लिये इंदिरा गाँधी के विश्वासपात्र राम निवास मिर्धा को कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी के रूप में चुना. ठीक उसी तरह जैसे उनकी सास इंदिरा गाँधी ने वर्ष 1969 के नवम्बर के गहरे संकट में राम निवास मिर्धा को चुना था.

वर्ष 2012 के नवम्बर में जब कांग्रेस अपने अस्तित्व के इतिहास में सबसे खराब दौर से गुजर रही है वह वापिस अपने वफादार और विश्वासपात्र लोगों और उनके परिवारों को खोजने और महत्व देने लगी है. वर्तमान कैबिनेट फेरबदल इस की एक मिसाल है, पायलट, सिंधिया, जितिन प्रसाद, माकन, अबू ह. खान चौधरी, दीपा दासमुंशी, आदि उदाहरण हैं.  आने वाले दिनों में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के फेरबदल, राज्य कैबिनेट फेरबदल और प्रदेश इकाई में बदलाव से ये पूर्ण रूप से दिखने लगेगा.

-मेघराज चौधरी

शिक्षक और अंशकालिक पत्रकार

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