आगामी दो माह में बुध ग्रह का प्रभाव ये रहेगा

भले ही अपने जन्‍मकालीन ग्रहों के हिसाब से ही लोग जीवन में सुख या दुख प्राप्‍त कर पाते हैं , पर उस सुख या दुख को अनुभव करने में देर सबेर करने की भूमिका आसमान में समय समय पर बन रही ग्रहों की स्थिति की ही होती हैं। जहां ढाई वर्षों के लिए शनि , एक वर्ष के लिए बृहस्‍पति , चार छह महीने के लिए मंगल , चार महीने के लिए शुक्र लोगों के समक्ष खास परिस्थितियां उपस्थित करने में जिम्‍मेदार होता है , वहीं दो महीने के लिए बुध का प्रभाव भी देखा गया है।

आसमान में यूं तो 24 अक्‍तूबर से ही वृश्चिक राशि में बुध ग्रह की स्थिति बनी हुई है और किसी न किसी रूप में 27 दिसंबर तक बनी ही रहेगी, पर 26 अक्‍तूबर 2012 से ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के हिसाब से बुध ग्रह अन्‍य ग्रहों से खास कोणिक दूरी पर होने के कारण कुछ को सुखद तो कुछ को कष्‍टकर वातावरण प्रदान कर सकता है। इसकी क्रियाशीलता धीरे धीरे बढती जा रही है , जिसके कारण किसी खास कार्यक्रम में लोगों का ध्‍यान संकेन्‍द्रण बनता जा रहा होगा। 7 नवंबर के आसपास किसी प्रकार की घटना के प्रभाव से इस कार्यक्रम में कोई बाधा उपस्थित हो सकती है , जिसके कारण 18 नवंबर तक इस कार्यक्रम की सफलता में कुछ संशय बन सकता है , कुछ बाधाएं 27 नवंबर तक भी बनी रह सकती हैं ,  पर उसके आसपास ही संशय के बादल छंटेंगे और कार्यक्रम अपने उसी रूप या दूसरे रूप में रफ्तार पकड लेगा। 5 दिसंबर 2012 आसपास कार्यक्रम निर्णायक मोड में रहेगा , जरूरी नहीं , सभी को सफलता ही मिले , कुछ को असफलता भी हाथ लगेगी, यानि उनके हिस्‍से कष्‍ट भी आ सकता है।  तक इस कार्यक्रम से किसी न किसी रूप में जुडाव बना रह सकता है।

बुध ग्रह विद्यार्थियों के लिए बहुत प्रभावी होता है , खासकर 12 वर्ष की उम्र से 18 वर्ष की उम्र के बालक बुध ग्रह के पूरे प्रभाव में होते हैं , जिन किशोरों का 12 वर्ष की उम्र के बाद किशोरावस्‍था का समय आराम दायक परिस्थितियों में कट रहा है , वे इस समय अपने सुख में और बढोत्‍तरी प्राप्‍त करेंगे। इसके विपरीत जिन किशोरों का 12 वर्ष की उम्र के बाद का समय कुछ कष्‍टवाला बना हुआ है , वे अपने कष्‍ट में और बढोत्‍तरी प्राप्‍त करेंगे। 4 जनवरी 2012 को बुध के वृश्चिक राशि से निकलते ही उन्‍हें थोडी राहत मिल जाएगी।

निम्‍न समयांतराल में जन्‍म लेनेवाले बुध ग्रह की इस स्थिति के अच्‍छे प्रभाव में आएंगे ……..

1, 1995 में 15 अप्रैल , 29 जुलाई , 21 नवंबर ,

1996 में 28 मार्च , 10 जुलाई , 1 नवंबर

1997 में 11 मार्च , 26 जून और 6 सितंबर ,

1998 में 22 फरवरी , 10 जुन , 25 सितंबर,

1999 में 4 फरवरी , 25 मई , 8 सितंबर ,

2000 में 15 जनवरी , 10 मई 21 अगस्‍त , 23 दिसंबर के आसपास जन्‍म लेने वाले सारे किशोर किशोरियां।

2, मई जून खासकर 1936 ; 1937 , 1942 , 1943 , 1948 , 1949 , 1954 , 1955 , 1960 , 1961 , 1966 , 1967 , 1972 , 1973 , 1978 , 1979 ,  1984 , 1985 , 1990 , 1991 , 1996 , 1997 , 2002 , 2003 , 2008 , 2009 के मई और जून में जन्‍म लेनेवाले हर उम्र के लोग ,

3, वृष राशि में जन्‍म लेने वाले सारे लोग  ,

निम्‍न समयांतराल में जन्‍म लेनेवाले बुध ग्रह की इस स्थिति के बुरे प्रभाव में आएंगे ….

1, 1995 में 3 फरवरी , 3 जून , 4 अक्‍तूबर।

1996 में 19 जनवरी , 15 मई , 17 सितंबर।

1997 में 1 जनवरी , 25 अप्रैल , 30 अगस्‍त , 17 दिसंबर ।

1998 में 6 अप्रैल , 13 अगसत , 1 दिसंबर।

1999 मेु 19 मार्च , 26 जुलाई , 16 नवंबर।

2000 में 2 मार्च , 6 जुलाई , 4 नवंबर के आसपास जन्‍म लेनेवाले किशोर ,

2, मार्च अप्रैल  1932 , 1933 , 1938 , 1939 , 1944 , 1945 , 1950 , 1951 , 1956 , 1957 , 1962 , 1963 , 1968 , 1969 , 1974 , 1975 , 1980 , 1981 , 1988 , 1989 , 1994 , 1995 , 2000 , 2001 , 2006 , 2007 के मार्च अप्रैल में जन्‍म लेनेवाले हर उम्र के लोग ,

3, मीन राशि में जन्‍म लेनेवाले सारे लोग ,

लग्‍न और ग्रह की स्थिति के हिसाब से सुख या कष्‍ट किसी भी संदर्भ का हो सकता है।

-संगीता पुरी
गत्यात्मक ज्योतिष से साभार

 

1 thought on “आगामी दो माह में बुध ग्रह का प्रभाव ये रहेगा”

  1. आपको हमारी शुभकामनाएं ..
    कारवां चौथ मानाने बाली महिलाये अपना जीवन परखें
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    भारतीय नारी /महिलायों का हम सम्मान करते है। भारतीय नारी एक शक्ति स्वरूपा है नारी का हर स्थान पर सम्मान हो रहा है , नारी जब औरत बन जाती है तो उसका रूप बदल जाता है। हिंदुस्तान /भारत में को पूज्यनीय माना गया है। नारी /औरत के लिए उसका पति ही स्वामी /पालनकर्ता है , नारी अपने पति केलिए ही उपवास ब्रत साधना करती आ रही है। फिर आज के समय में वह भारत की नारी /औरत कहाँ है …? क्यों की देश में हजारो महिलायों पर अपने पति की हत्या करने के आरोप अपनी ही संतान की हत्या के आरोप प्रेमी के साथ भागने की लाखो घटनाये क्यों बढ गई है। आखिर भारतीय संस्कृति व संस्कार कहाँ गम हो रहे है . आज देखा देखी त्यौहार तो मनाये जा रहे है। फैशन को अपनाया जा रहा है, नग्न बदन के कपडे पहनने की चलन चल रही है आखिर आज जो भी हो रहा है जो भी अपराध घाट रहे है। उसमे हमारी ही भारतीय महिलाएं ही है। महिलाएं अपना चरित्र क्यों नीलाम करने में शामिल है। आज कारवां चौथ मानाने के पूर्व उन भारतीय महिलाओं से पूंछना चाहता हूँ की क्या आप अपने धर्म के अनुसार अपने पति या स्वामी जी का आप कितना सम्मान करती है। आप अपने पति की सलाह से कौन कौन से कार्य करती है। अपने पति की कितने करती है। फिर पति की हत्या क्यों कराती है। अपनी संतान को छोड़ कर दुसरे मर्द के संग क्यों भागती हो ..? आखिर पैसा ,जेवर या अपनी कामबासना की पूर्ती के लिए कुछ भी कर सकती हो। ऐसी महिलाओ ने ही भारत की उन पूज्यनीय महिलाओं का सम्मान घटा दिया है।।? आप आवश्यकता है। अपने चरित्र की रक्षा करने की आज आवश्यकता है। अपने परिवार की लोक लाज बचने की आज आवश्यकता है। अपने बच्चों में संस्कार देने की . कारवां चौथ से ज्यादा महत्त्व अपना सुधार करने की . हम सुधरेगें घर परिवार व समाज का अपने आप सुधार होगा .. हम उन महिलाओं व माता बहनों के चरणों में सर झुकाने तैयार है जो माता सती अनुसुईया जी के बताये मार्ग पर चलती है .

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