घर जवाई

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
होने वाली बहु रहिस अधिकारी की बेटी थी जो ष्षादी से पहले अपने बीमार ससुरजी को देखने आई। पॉव पड़ कर बहु ने पूछा क्या हो गया पापाजी ?
ससुरजी- पेट दर्द है । बासी खा लिया था । बहु बोली क्या फ्रीज नहीं है पापाजी ? ससुरजी – भगवान की दया से सब कुछ है बेटी़ ? तेरी सासु मॉ के दहेज में आया था । अब तो न तेरी सासुमॉ और न ही फ्रीज ठीक से काम करता है । ग्यारंटी पीरियड में होता तो बदल भी लेता । बहु- ठीक है, मैं पापा को कह दॅूगी वो खरीद लेंगे ।
कापते हुए ससुर को देखकर बहु- पापा आपको तो ठंड लग रही है ? ससुर- बेटी ठंडे पानी से नहाया था, इस लिए ठंड लग रही है । बहु- गीजर नहीं है पापाजी ? ससुर- भगवान की दया से सब कुछ है । तेरी सासुमॉ के दहेज में इलेक्ट्रीक गीजर आया था, वो भी अब काम नहीं करता है । ठीक है पापाजी मैं मेरे पापा से कह कर गीजर खरीद लॅूगी ।
बहु भावुकता का लाभ लेते हुए ससुरजी कहने लगे -बेटी भगवान की दया से तेरी सासुमॉ के दहेज में सब सामान आया था, पर अब कुछ भी काम नहीं करता। ग्यारंटी पीरियड सब का खत्म हो गया है। अब कबाड़े में बेचने के अलावा कुछ रास्ता नहीं बचा। मेरा तो घर ही खाली हो जाएगा। बहु- पापा आपका तो दिमाग ही खराब लग रहा है।ससुरजी- क्या करु बेटी -एकलौता बेटा है। जो कुछ आस है उसी से है। बहु-ठीक है। में मेरे पिताजी से कहा कर ‘‘ उन्हे ही खरीद लेती हॅू और उस रहिस की बेटी ने ससुरजी की इच्छाओं पर पानी फेरते हुए उनके एकलौते बेटे को अपने पापा से कहकर घर जवाई बना लिया ।
हेमंत उपाध्याय 9425086246-9424949839-7999749125 [email protected] व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार, कवि एवं ललित निबंधकार ।

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