रामक्रष्ण परमहंस और उनके मुस्लिम अनुयायी के बीच मार्मिक संवाद पार्ट 1

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
मुशीं फैज अली ने स्वामी विवेकानन्द से पूछा :—“स्वामी जी हमें बताया गया है कि अल्लहा एक ही है। यदि वह एक ही है, तो फिर संसार उसी ने बनाया होगा ? “स्वामीजी ने जबाव दिया , “सत्य” है।
1 मुशी फेज अली फिर सवाल किया ,”तो फिर इतने प्रकार के मनुष्य क्यों बनाये। जैसे कि हिन्दु, मुसलमान, सिख, ईसाइ और सभी को अलग-अलग धार्मिक ग्रंथ भी दिये। एक ही जैसे इंसान बनाने में उसे यानि की अल्लाह को क्या एतराज था। सब एक होते तो न कोई लङाई और न कोई झगङा होता। “.स्वामी ने हँसते हुए उत्तर दिया, “मुंशी जी विचार करों “ वो सृष्टी कैसी होती जिसमें एक ही प्रकार के फूल होते। केवल गुलाब होता, कमल या रंजनिगंधा या गेंदा जैसे फूल न होते !” फैज अली ने कहा सच कहा आपने | यदि एक ही दाल होती तो खाने का स्वाद भी एक ही होता। और तब दुनिया तो बङी फीकी सी हो जाती | स्वामी जी ने कहा, मुंशीजी! इसीलिये तो ऊपर वाले ने अनेक प्रकार के जीव-जंतु और इंसान बनाए ताकि हम पिंजरे का भेद भूलकर जीव की एकता को पहचाने।

संकलनकर्ता—–डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ——— व्हाट्सएप
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