क्या अपराधी होंगे हमारे नायक?

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी द्वारा  स्वामी विवेकानंद की तुलना दाऊद इब्राहिम से करना उनका निजी विचार है या पार्टी भी इससे सहमत है यह कहना तो मुश्किल है भ्रष्टाचार के आरोपों की मार झेल रहे गडकरी  ने ऐसा विवादास्पद बयान  देकर जहां एक ओर पार्टी के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है वहीं कांग्रेस को बैठे बिठाए मुद्दा भी दे दिया है। जिसका फायदा यकीनन कांग्रेस उठाना चाहेगी। चुनावी माहौल में यह बयान भारतीय जनता पार्टी के लिए नुक़सानदेह हो सकता है। विवेकानन्द जी iजिनके
कर्म से भारत का स्वाभिमान बढता है और प्रत्येक भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा होता है ऐसे महापुरुष के नाम का दाऊद इब्राहिम जैसे कुख्यात अपराधी से तुलना करना निन्दनीय है। आम भारतीय तुलना तो दूर विवेकानंद जी के साथ शायद नाम तक लेना पसंद न करे।
खबरों के अनुसार भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भोपाल में महिलाओं की पत्रिका ओजस्विनी के एक कार्यक्रम में स्वामी विवेकानंद की तुलना अंडरवर्ल्ड डॉन और भारत में मुंबई सीरियल ब्लास्ट के आरोपी दाऊद इब्राहिम से कर डाली। उन्होंने कहा कि इन दोनों का ही आईक्यू लेवल एक समान है लेकिन दोनों की जिंदगी की दिशा अलग थी। एक ने इसका इस्तेमाल समाज की बेहतरी के लिए किया तो दूसरे ने गुनाह के लिए किया।
यह बेहद अजीब बात है कि जो भाजपा आतंकवाद पर कांग्रेस को घेरा करती थी उसी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा कुख्यात अपराधी जिसके आतंक से भारतीयों के साथ अन्य मुल्कों के लोग भी त्रस्त है कि आईक्यू लेबल की तुलना विवेकानंद जी से कर के कौन सा और किस प्रकार का संदेश दिया गया है।
वह भी यह बयान ऐसे राज्य में आकर उन्होनें दिया है जहां उनकी सरकार है।
यदि ऐसा मान लिया जाए की उन्होंने यह बयान जल्दबाजी में दिया है तो आखिर किस बात कि जल्दबाज़ी थी? जिस पार्टी में ऐसे जल्दबाज नेता हैं उस पार्टी के सत्ता में आने के बाद कहीं ऐसी जल्दबाज़ी न हो जाए की अफ़जल गुरु और कसाब जैसे देश के दुश्मन को भी मिसाल बनाकर पेश किया जाने लगे। यह बात न केवल भारतीय राजनीति और देश के आवा के लिए चिंताजनक है बल्कि स्वयं
भारतीय जनता पार्टी के लिए भी चिंताजनक है। भाजपा को भी गम्भीर हो कर इस बात पर विचार करना चाहिए के क्या पार्टी विथ डिफ्रेंस का दावा करने वाले पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा महज सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसा बयानन देना ठीक है?
मौजूदा हालात में आम जनता भ्रष्टाचार और महँगाई के दोहरे मार से छटपटा रही है और विकल्प तलाश रही है। और कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। अब तक तो राजनेता भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हुए थे अब उनकी मानसिकता का इतना विकास होता जा रहा है की कुख्यात अपराधियों के बुद्धिमत्ता कि गाथा
गाई जाने लगी है। क्या यह सब बस इस लिए हो रहा है की आम जनता कि उपेक्षा करते-करते राजनेता गैरजिम्मेदार होने लगे हैं यदि यह सच है तो आने वाले समय में आम जनता का हाल और बेहाल होना तय है।
कहते हैं शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण कार्य के वक्त अपने आर्कीटेक्ट के कहने पर एक दिन की मजदूरी की थी,मजदूरी के aबाद बेहाल बादशाह को गरीबी का अहसास हुआ। आज के दौर में न कोई नेता मजदूरी कर गरीबी का एहसास करने वाला है और न ही त्याग कर महात्मा बनने वाला है। ऐसे में अहम सवाल यह उठता है की सुधार की शुरुआत होगी तो कहां से होगी। भ्रष्टाचार के रक्तबीज से
जनमें भ्रष्टाचारी लगातार बढ रहें हैं और मर्यादा का पाठ पढाने वाले अभद्र टिप्पणी कर अपनी वास्तविकता का परिचय दे रहें हैं ऐसे में आम जनता का जागृत होना बेहद जरुरी है क्योंकि जागृत समाज ही निरंकुश शासक पर लगाम लगा सकता है। लोकतंत्र में तंत्र से पहले लोक आता है और लोकतंत्र में हाशिए पर लोक ही आज क्यों है जरा सोचिए।

-अब्दुल रशीद (स्वतंत्र पत्रकार)सिंगरौली मध्य प्रदेश

1 thought on “क्या अपराधी होंगे हमारे नायक?”

  1. WE have to find find some alternative to big political parties. There can never b a change in the SYSTEM unless there is complete DEMOCRACY within party i.e. democracy in selection of office bearers and candidates.

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